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सेक्स: जो भी आप जानना चाहेंगे।

सेक्स की वास्तविक उम्र
यदि कहा जाय तो सेक्स की वास्तविक उम्र वह होती है जब कोई पुरुष या महिला मेडिकल तौर पर बालिग हो जाते हैं. लेकिन आज के समय में सेक्स की उम्र का निर्धारण कठिन है. टीन एज या किशोरावस्था से ही लोग सेक्स क्रिया के प्रति उत्सुकता दिखाने लगते हैं. यही वह उम्र होती है जब शारीरिक परिवर्तन का दौर शुरू होता है और विपरीत लिंग की ओर आकर्षण बढ़ता है. इसके साथ ही सेक्स शब्द के प्रति जिज्ञासा का दौर शुरू होता है.
सेक्स एक आश्चर्यजनक अनुभव है. लेकिन दूसरी ओर यह एक बारूदी सुरंग भी है. इसलिये इसमें प्रवेश करने से पहले इस पर पूरा सोच विचार और पूरी जानकारी होना जरूरी है. चिकित्सा विज्ञान के अनुसार लड़कियों को तब तक सेक्स नहीं करना चाहिए जब तक वे सेक्स के प्रति जागरुक न हों और शारीरिक रूप से सक्षम(पूर्णता) न हो. पूर्ण जागरुकता न होने से एक ओर जहां गर्भ धारण करने का खतरा है तो दूसरी ओर किशोरावस्था में सेक्स करने पर सरवाइकल कैंसर की भी संभावना रहती है.सेक्स और उसकी उम्र आज के समय का महत्वपूर्ण मुद्दा है.
आज मीडिया व आम चर्चा में यह सभी जगह गाहे बगाहे उठता रहता. आम निष्कर्ष और धारणा के आधार पर सेक्स की औसत आयु 60 वर्ष तक आंकी जाती है. लेकिन आज मेडिकल साइंस और दिनचर्या के आधार पर इसमें बढ़ोत्तरी हो सकती है. महिला और पुरुष चक्र के आधार पर दोंनों का सेक्सुअल पैटर्न अलग-अलग होता है. आदमी में पौरुष कठोरता(उत्तेजना) तब शुरू मानी जाती है जब वह गर्भस्थान में स्थिर रह सकता है. संतानोत्पत्ति की क्षमता (वीर्य बनना) की शुरुआत 13 साल की आयु से हो जाती है किन्तु लड़कों में औसतन 16 वर्ष के पहले प्रारंभ नहीं होती है. यह समझने योग्य है कि इस अवस्था में काफी परिवर्तन आते हैं. लड़के 18 वर्ष की उम्र के लगभग सेक्स क्रिया कलापो के लिए उंचाई पा लेते है. जब यह प्वांइट ऑन हो जाता है तो उत्तेजना और स्खलन की क्षमता का एक बूंद द्वारा पीछा किया जाता है और यह क्षमता 30 साल की आयु तक पूर्णता लिये होती है.जहां वह मानसिक रूप से एक स्खलन के पश्चात एक और स्खलन के लायक योग्य हो जाता है. 40 साल की उम्र तकलोग मानसिक रूप से उत्तेजकता और क्रिया कलापों को लेकर शिथिल होने लगते हैं. यह क्रमिक झुकाव 50 साल की उम्र तक चलता रहता है और यहां आकर व्यापक अस्थिरता उत्पन्न होती है. इस उम्र पर पुरुष की सेक्स क्षमता उसकी अंतिम किशोरावस्था और शुरुआती यौवनावस्था की आधी रह जाती है. 40 के बाद सेक्स के प्रति लगाव या उत्साह घटने लगता है.
उत्तेजना कम शक्तिशाली और कठिन हो जाती है और स्खलन भी कमजोर पड़ जाता है.उम्र के अनुरूप सेक्स क्षमताऔर लगाव में कमी के कई कारण हैं. इनमें कई शारीरिक और इंद्रिय संबंधी हैं. इनमें हृदय और उसका परिभ्रमणतंत्र का कमजोर होते जाना, ग्रंथि और हार्मोनल सिस्टम तथा नाड़ी तंत्र की क्षमता आदि हैं.लेकिन इनके विपरीत देखा गया है कि जिनकी पौरुष क्षमता या सेक्स क्षमता कमजोर होती है उनमें 90 फीसदी लोग मानसिक रूप से कमजोर होते हैं न कि शारीरिक या इंद्रिय रूप से. इनमें से भी 60 फीसदी लोग तो उत्तेजना और स्खलन संबंधी परेशानियों के लिये सिर्फ मानसिक रूप से ही पीड़ित होते हैं न कि शारीरिक रूप से.महिलाओं में सेक्स क्षमता|

सेक्स का पहला अनुभूति:सेक्स का पहला अनुभव या ज्ञान गाहे बगाहे ज्यादातर लोगों को किशोरावस्था या उसके पहले ही हो जाता है. यह अलग बात है तब उसे इसकी जानकारी नहीं होती. जैसे कि कहा जाता है कि बच्चे की पहली पाठशाला उसका अपना घर परिवार होता है. इसी से स्पष्ट हो जाता है कि सेक्स का पहला ज्ञान भी उसे घर परिवार से ही मिलता है. सेन्टर फॉर इफेक्टिव पैरेन्टिंग के द्वारा किये गए सर्वे से निकले निष्कर्ष के आधार पर बच्चा सर्वप्रथम सेक्सुअलिटी के बारे में अपने अभिभावक से ही सीखता है. भले उसके अभिभावक उससे चर्चा करें या न करें. वे सेक्स की सीख अपने अभिभावक/माता-पिता के बीच व्यवहार देख कर , उनकी आपसी चर्चा सुनकर और सेक्सुअल व्यवहार और संदेश पर अपने माता-पिता के बीच की प्रतिक्रिया के अनुभव से मिलती है. मसलन किसी टीवी या सिनेमा में किसी अंतरंग या रोमांटिक दृश्य या संदेश पर माता-पिता की प्रतिक्रिया को जब बच्चा देखता है फिर उस पर अपनी सोच बनाता है. यह भी बच्चे में सेक्स का पहला अनुभव का कारण बनता है.
कई बार बच्चे घर में बड़ों के सेक्स कार्यकलापों को देख लेते हैं और उसे अपने बालमन के अनुरूप गढ़ लेते हैं. कई बार सेक्सी बाते सुनकर भी अनुभूति प्राप्त करते हैं. कई बार यह भी देखा जाता है कि स्कूल में अपने से बड़े उम्र के बच्चे की संगत में आकर भी उसे सेक्स की जानकारी मिलती है. ऐसी ही एक घटना मेरे परिचित ने अपने बारे में बताई कि जब वे लगभा १२ साल के रहे होंगेउस दौरान कोई अवकाश का दिन था वे और उनका दोस्त जो उम्र में उनसे थोड़ा बड़ा था ने बताया कि आज टॉकीज में लव वाली फिल्म लगी है. तब उन्होंने लव का आशय लौ समझा और फिल्म देखने का इरादा किया. जब वे वहां पहुंचे तब उन्हें कुछ और पता चला. इस तरह की अनेकों घटनाएं मसलन एक छोटे बच्चे का पड़ोस में देखकर आने के बाद माता-पिता से यह कहना कि आप दोनों से लेटते नहीं बनता उसके दोस्त के मम्मी पापा ऐसे लेटते हैं. आदि उसके बालमन में सेक्स का सबक प्रारंभ कर देते हैं. ऐसे में अभिभावकों की जिम्मेदारी बनती है कि अपने बच्चे पर सतत निगरानी रखे कि बच्चा क्या देख सुन और कर रहा है. या उसकी प्रतिक्रिया क्या है. और उसे उचित तरीके से समझाएं साथ ही स्वस्थ वातावरण उसके सामने प्रस्तुत करें.वहीं इन सबसे से हटकर कुछ लोगों का मानना है कि बालक अपने बचपन में जो देखता और अनुभव करता है वह सेक्स की अनुभूति नहीं होती है. हां वह एक जिज्ञासा जरूर होती है लेकिन उसमें सेक्स की अनुभूति नहीं होती है. लेकिन यही बच्चा जब किशोर अवस्था में आता है और उस वक्त वह जो देखता है और समझता है वह उसकी सेक्स की पहली अनुभूति होती है.क्योंकि तब उसे स्त्री पुरूष जैसे शब्दों का मतलब समझ में आने लगता है साथ ही इस दौरान अपने शारीरिक परिवर्तन के दौर से भी गुजर रहा होता है. इस अवस्था में विपरीत लिंग को देखकर एक अलग भावना का संचार भी होने लगता है जो सेक्स अनुभूति की पहली सीढ़ी है.

क्या सेक्स का मतलब प्यार है?
प्यार और सेक्स इतनी आसानी से एक दूसरे में बदल सकते हैं. जिस तरह से पर्यायवाची शब्द. क्या प्यार का मतलब सेक्स है? क्या सेक्स का मतलब प्यार है? क्या प्यार के दौरान सेक्स कुछ होता है?मुझे तुमसे प्यार हो गया है. आओ प्यार करें.... कुछ इस तरह के जुमले प्यार जताने के लिये कहे जाते हैं. कुछ ज्यादा गहराई वाले - क्या तुम मुझे दिल से चाहते हो?यह मनमौजीपन या कहें कि पागलपन का दर्शन है जो आजकल चारों ओर बज रहा है. ये दोनों शब्द प्रायोगिकरूप से बदलते रहते हैं. तब ऐसे में सेक्स क्या है? यह किस तरीके से प्यार में फिट होता है.हम सभी अभिलाषा और उत्तेजना के एक जाल से बने हुए हैं. उदाहरण के तौर पर खाने को ले. शरीर को स्वस्थ और स्फूर्ति भरा रखने के लिए खाने की जरूरत होती है. लेकिन दूसरी ओर खाने के ही इतने ही स्वाद और प्रकार हैं जो हमें खाने का आनंद दिलाते हैं. ठीक इसी तरह ज्ञान की अभिलाषा है. यह ज्ञान की अभिलाषा ही हमें ज्ञान और चीजों को बेहतर तरीके से समझने के लिये प्रेरित करती है और स्थिर रहने से रोकती है.भगवान ने हमारे लिये इसीतरह प्यार और मित्रता की अभिलाषा बनाई है. इसी उद्देश्य से उसने हमारे लिये सेक्स संबंधी अभिलाषाएं बनाई हैं. जिसमें भावनात्मक और शारीरिक दोनों हैं. कुल मिला कर भोजन की आकांक्षा के साथ उसने उचित आचार व्यवहार के साथ सेक्स यात्रा भी निर्मित की है.
भगवान ने इसी भावनात्मक और शारीरिक परिचय को पूरा करने के लिये शादी का एक खाका तैयार किया और शादी के बाद पति पत्नी के बीच प्यार के बहुत ही महत्वपूर्ण और गहरे प्रदर्शन के लिये सेक्स की रचना की. भगवान ने सेक्स की उसने ही सेक्स को जन्म दिया. यह उसी का प्लान था. जब उसने आदमी की रचना की तो उसने कहा बहुत अच्छा. तब आदमी की अभिलाषा और उसके लक्षण सभी ठीक थे. लेकिन आज के दौर में काफी समस्याएं खड़ी हो गई हैं. इसका कारण यह है कि जो भावनात्मक और शारीरिक प्रदर्शन शादीशुदा जिंदगी में होना चाहिये वह अब शादी से इतर हो रहा है. और अब परिणाम स्वयं सामने आ रहे है. वह भी टूटते हुए दिल के रूप में. आदमी की सोच दूषित होती जा रही है. इसके परिणाम विभिन्न बीमारियों और शारीरिक कमजोरियों के रूप में सामने आ रहे हैं. सेक्स में कुछ तो बहुमूल्यता है जो शादी के लिये अनमोल कोष है. इसलिये रचयिता के प्लान का पालन करना चाहिये . यदि शादी तक के लिये सेक्स छोड़ देते हैं तो आप पाएंगें कि वास्तविक प्यार क्या है, जो संदेह और अविश्वास से मुक्त होगा. भगवान ने सेक्स बनाया है जिसका उद्देश्य शादी के लिये है. इसलिये आग को आग वाले स्थान तक के लिये छोड़ दें. तभी प्यार और सेक्स एकाकार होंगें अन्यथा प्यार और सेक्स बेमानी और झूठे हैं.दूसरी ओर इन सबसे हटकर यह कह सकते है कि प्यार और सेक्स दो अलग अलग चीजें हैं. प्यार एक आवेग भावना या अनुभव है. प्यार की कोई परिभाषा नहीं हो सकती क्योंकि प्यार का अर्थ कई अलग-अलग चीजों और अलग-अलग व्यक्तियों पर केन्द्रित है. जबकि सेक्स एक अलग मामला है जो कि जीवविज्ञान की एक घटना है. यद्यपि सेक्स के कई प्रकार हैं और अधिकतर सेक्सुअल कार्यों में निश्चित तौर पर चीजें कामन होती है. सेक्स कोई अर्थ बोध नहीं रखता है. अब सेक्स और प्यार के अन्तर को निम्न रूप में समझ सकते हैं

सेक्स कोई झंझट का विषय नहीं है कि आपके अंतरंग में क्या छिपा है और क्या शारीरिक अंतर है- यह स्वीकार्यता है.
सेक्स उसे फूल भेजना है यह कहने के लिये कि वह उसके लिये लकी है- यह मूल्यांकन है.
सेक्स पहचाना जाता है कि वह एक अत्यंत सुकुमार कोमल रात्रि चुंबन होगा - यह पूर्वज्ञान है.
सेक्स काम, बच्चे और किसी को समय देने की समस्या नहीं है - यह व्यवस्था( adjustment) है.
सेक्स यह जताता है कि तुम एक दूसरे के लिये बने हो और हमेशा एक दूसरे के लिये बने रहोगे- यह एक बंधन है.
सेक्स व्यक्ति को बताता है कि तुम छुट्टियों में हो और चाहते हो वह सो रही हो और उसे डिस्टर्ब न करो, जवाब में पता चलता है वह अक्सर जागती ही रही है- यह दयालुता है.
सेक्स किसी निर्लज्ज जगह पर पकड़े जाने के डर के प्यार करना है - यह पागलपन है.
सेक्स एक दूसरे की बांहों में पूरी रात पड़े रहना है. यह समीपता है.
सेक्स किसी के बारे में पूरा दिन सोचना और उसके साथ रहना है- यह अभिलाषा है.
सेक्स खुशी में जोर से चिल्लाना है जब आप चरम (climax) को पा चुके हों- यह हर्षोन्माद है.
सेक्स आप को एक और मौका देता है कि आप किसी दूसरे शरीर को समझने के लिये दौड़ लगाएं- यह अनुसंधान है.
सेक्स यह जानते हुए विदा कहने का समय है कि जब आप दोबारा मिलेंगे तो एक दूसरे के दिल दिमाग और खून में बसे होंगे- यह विश्वास है.
सेक्स समय, स्थान और काम को लेकर निर्भीकता है- यह आनंद है.
सेक्स हर वक्त लंबे समय तक उनकी बांहों में रहना है और दूरी इतनी हो कि तुम उसे मौत दे सको- यह निर्जनता है.
सेक्स सही समय की प्रतीक्षा है- यह धैर्यता है.
सेक्स बगैर असफल हुए दोनों के द्वारा सावधानी बरतना है- यह जिम्मेदारी है.
सेक्स तुम्हारे प्रेमी का तुम्हारे चुंबन से धीरे से जागना है- यह विषय सुख है.
सेक्स यह बताता है कि तुम पूरे विश्व का सामना कर सकते हो यदि तुम अपने पार्टनर के साथ हो- यह विश्वास है.
सेक्स बताता है कि तुम्हारे प्रेमी या प्रेमिका की आंखों में तुम्हारे अलावा दूसरा कोई नहीं है- यह सच्चाई है.
सेक्स तुम्हारे कमरे की वह दूसरी चाभी है जिसे तुम उसे देते हो जिसे प्यार करते हो- यह विश्वास है.
सेक्स में यह कहने की जरूरत नहीं है कि चलो प्यार करें क्योंकि आपको मालूम होता है कि सामने वाला क्या चाहता है- यह समझ (understanding) है.
सेक्स उसका साथ पाने के लिये पूरी रात जागना है जब वह कहीं दूर हो- यह घावों से भरा हुआ है.

सेक्स और भ्रांतियां:
पुरातनकाल से सेक्स जीवन का महत्तवपूर्ण हिस्सा रहा है। सेक्स जीवन की सांस के साथ उस समय से जुड जाता जब व्यक्ति बचपन से युवा उम्र में प्रवेश करता है। यही वह समय है जब व्यक्ति को इस विषय पर सही जानकारी मिलनी चाहिए। सेक्स के बारे में लोगों में अनेक भ्रांतियां बनी हुई हैं। अगर सही ढंग से चिकित्सीय सलाह दी जाए तो सेक्स रोगों में कमी आ सकती है।

परिवर्तन और सेक्स: 
हाई टेक्नोलोजी के चलते न सिर्फ इंटरनेट और मोबाइल का इस्तेमाल बढा है, बल्कि लोग पहले से ज्यादा एक दूसरे से चैटिंग के जरिए अपने दोस्त विदेशों तक में बना रहे है। इन सब के पीछे उन के दिल में छिपी यौन कामना ही है। लेकिन उन के बेसिक ज्ञान का स्तर लगभग शून्य होता है। जिस की वजह से युवाओं का एक बडा वर्ग धीरे धीरे मानसिक अवसाद का शिकार होता जा रहा है। पिछले कुछ सालों में मानसिक चिकित्सकों के पास सेक्स के मामलों में काफी वृद्घि हुई है।

अघूरी जानकारी : 
आश्चर्यजनक बात यह है कि लोगों में ही नहीं बल्कि कई डाक्टरों में भी यह भ्रांति है कि जिस पुरूष के अंग का साइज बडा होगा और जिस महिला के ब्रेस्ट बडे होंगे उन्ही के साथ अच्छा सेक्स मिलेगा। यह बात पूरी तरह से गलत है, क्योंकि पुरूष के अंग का टौप ही संवेदनशील होता है और महिलाओं में अंग का बाहरी 1 इंच का हिस्सा ही संवेदनशील होता है। सारी क्रियाएं इसी पर निर्भर होती है। साइज का कोई महत्तव नहीं है। बाजार में मिलने वाली सेक्सवर्घक दवाएं, स्प्रे, इत्यादि किसी प्रकार का इफेक्ट नहीं करतीं और लेकिन इनके अनेक साइड इफेक्ट होते हैं जो धीरे धीरे ही सामने आते हैं।
स्वपदोष, घातु, हस्तमैथुन आदि प्रकियाएं स्वाभाविक है, कोई रोग नहीं हैं।
दौरा, हिस्टीरिया, डिप्रेशन आदि बीमारियों के लिए सेक्स एक उचित इलाज है। कई बार ऎसा देखा गया है कि यदि महिलाएं सेक्स क्रिया में संतुष्ट नहीं हैं तो अवसाद में घिर जाती हैं। पुरूषों में 68 वर्ष की उम्र तक सेक्स क्रिया में कोई कमी नहीं आती। यदि पति-पत्नी निरंतर क्रिया करते रहे हों तो पुरूषों में प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना बिलकुल कम हो जाती है। कुछ लोगों का मानना है कि शराब सेक्स पावर बढाती है जबकि नशा ब्रेन सेक्स सेंटर को प्रभावित करता है और आप किसी लायक नहीं रह जाते।

इलाज आसान हो : 
व्यक्ति का फैमिली डॉक्टर यदि सेक्स विशेषज्ञ है तो मरीज को कोई परेशानी नहीं होगी परन्तु ऎसा नहीं होने पर मरीज को दर-बदर भटकना पडेगा। इसी तरह महिलाओं में गर्भ के दौरान, महावारी के दौरान तथा मीनोपाज के बाद सेक्स प्रकिया क्या होनी चाहिए, उस समय शरीर किस तरह सक्रिय होता है, ये सभी जानकारियां यदि मरीज को डॉक्टर्स से आसानी से मिलती रहे तो नीम-हकीमों की दुकानें लगभग बंद हो जाएंगी और लोगों में सेक्स के प्रति भ्रांतियों में कमी आयेगी। 
कम उम्र में सेक्स के अनुभव का प्रयास युवाओं को मानसिक अवसाद की ओर ले जाता है। इससे उन में शीघ्रपतन की समस्या सामने आने लगती है। ऎसी बीमारीयों का इलाज जागरूकता व शिक्षा से ही संभव है। सेक्स लाइफ का एक पार्ट है। आज कई लोग पर्याप्त काउंसलिंग के अभाव में स्वयं को इस लिहाज से समाप्त करते जा रहे है। इससे बचने के लिये उन्हे केवल इतना ही करना होगा कि विशेष डाक्टर्स (कुशल यौन रोग विशेषज्ञ) को तरजीह दी जाए। इसके अभाव में ही आज का युवा वर्ग मानसिक अवसाद में आकर यौन समस्याओं का शिकार हो रहा है।

युवाओं की समस्या:
18 से 25 वर्ष तक के अविवाहित वर्ग में सेक्स समस्याएं अघिक होती है। दूसरा वर्ग 40 वर्ष से अघिक उम्र वाले लोगों का होता है। इन में सेक्सुअल प्रौब्लम का मुख्य कारण दूसरी बिमारियां होती है जैसे-उच्चा रक्तचाप, आरामदायक जीवन व्यतीत करना, धूम्रपान करना आदि। सेक्स की बेसिक जानकारी की आवश्यकता विवाह के उपरांत या जोडे में होने पर होती है। उस समय सामने आने वाली समस्याओं के लिए डाक्टर और एक्सपर्ट जरूरी हैं। स्कूल स्तर पर केवल सुरक्षा और सावधानियों से अवगत कराया जाए तो बेहतर होगा। शहरों में माता-पिता के पास समय का अभाव होता है। जो बच्चा शहर में 8वीं कक्षा में मैच्योर हो जाता है वही ग्रामीण परिवेश में 10वीं के बाद तक भी इन चीजों से अछूता रहता है। अत: कहीं न कहीं हमारी परवरिश भी बच्चों को भटकाने के लिए जिम्मेदार है ।

बच्चे से सेक्स के बारे में चर्चा करें।
बच्चों द्वारा उठाए गए सेक्स संबंधी सवाल या चर्चा अभिभावकों के लिये काफी कठिन विषय बन जाता है. इस स्थिति में उचित माहौल में बच्चों की जिज्ञासाओं का जवाब देना उनके स्वस्थ व्यवहार और विकास में सहायक होता है. ऐसे में अभिभावकों को बच्चों के सामने अच्छे उदाहरण रखने चाहिये.ऐसे अभिभावक जो अपने बच्चों की जिज्ञासाओं पर चर्चा करने से बचते हैं वे अपने बच्चे को एक तरह से क्षति पहुंचाते हैं या यह कह सकते हैं कि वे उसे गलत राह की ओर उन्मुख करते हैं. ऐसे में बच्चे के मन में गलत धारणा बनती है जो आगे जाकर उसकी जिन्दगी में गलत प्रभाव डाल सकती है.कई बार बच्चे अभिभावकों से जानकारी न मिलने पर अन्यत्र से जानकारी लेने का प्रयास करते हैं और इन परिस्थितियों में उसे जो जानकारी मिलती है या तो अधूरी होती है या फिर गलत होती है.

छोटे बच्चे से सेक्स चर्चा
इन बच्चों से सेक्स चर्चा उनके स्वीकार्य स्तर तक ही करें. अभिभावक इस बात का खास ख्याल रखे कि बच्चे की परिपक्वता का स्तर क्या है. भाषा साधारण और वाक्य छोटे ऱखें. यहां महत्वपूर्ण यह है कि जो भी चर्चा करनी है वह सेक्स पर करनी है न कि संभोग या सहवास पर. परन्तु बच्चा यदि बड़ा है तो शरीर रचना और विकसित हो रहे अंगों आदि पर चर्चा की जा सकती है. बच्चा सेक्स की शुरूआत को लेकर कम उम्र में काफी जिज्ञासु रहता है. देखने में आया है जो बच्चे अपने माता पिता से इन विषयों में चर्चा करते हैं वे काफी सहज रहते हैं साथ ही वे अपनी अन्य समस्याओं के समाधान के लिए भी माता पिता के काफी निकट आ जाते हैं. जो बाद में उनके मार्गदर्शन में सहायक होता है. जब बच्चे के साथ सेक्स पर चर्चा कर रहें हों तो अभिभावक यह जताना न भूले कि यह एक महत्वपूर्ण विषय है जो शांत और सच्चाई का विषय है. बच्चों की नई बातों में ग्राह्यता और जिज्ञासा काफी अधिक होती है ऐसे में यदि अभिभावक उनके प्रश्नों को लेकर असहज होते हैं तो उनकी जिज्ञासा और बढ़ती है तब या तो वह मन में यह धारणा बना लेगा कि सेक्स गलत या बुरी चीज है या रोक या अवरोध का विषय है. ज्यादातर अभिभावक यह सोचते हैं कि इस विषय की शुरुआत करना काफी कठिन है तो ऐसे में वे रोजमर्रा की घटना, अवसर आदि को लेकर सेक्स पर चर्चा कर सकते हैं. उदाहरण के तौर पर यदि बच्चा बड़ा है तो उसे कपड़े बदलते वक्त उसे उसके गुप्तांगों सहित शरीर के सभी अंगो (सही नामों के साथ) की जानकारी दी जा सकती है. यदि बच्चा किसी गर्भवती महिला को देखता है और उसके बढ़े हुए पेट के बारे में जानकारी चाहता है तो अभिभावक इस अवसर को प्रसव की चर्चा शुरू करने का उचित अवसर के रुप में प्रयोग कर सकते हैं. बच्चा जब तरुणाई में प्रवेश कर रहा हो तो ऐसे में अभिभावको को ध्यान देना चाहिए कि उनके बच्चे में कुछ परिवर्तन (आवाज बदलना, स्तनों में विकास आदि ) हो रहे हैं इस अवसर पर उसे बताना चाहिए कि तु्म्हारी शरीर संरचना यौवनावस्था की ओर बढ़ रही है और इस दौरान यौवनावस्था के बारे में बताना चाहिए. इस तरह हर दिन रोजमर्रा में सैकड़ो ऐसे अवसर आते हैं जिन्हे सेक्स चर्चा का विषय बनाया जा सकता है. मसलन यदि बच्चा छोटा है तो उसे पशु पक्षियों के संबंधो के आधार पर सेक्स की जानकारी दी जा सकती है.

अंगो के सही नाम बतायें
शुरुआत में ही अभिभावकों को बच्चों को अंगों के सही नाम बताना चाहिए. चाहे वह शरीर की सामान्य संरचना हो या गुप्तांग. जिस तरह अभिभावक यह बताते हैं कि यह नाक आंख कान आदि है ठीक उसी तरह उसे यह बताना चाहिये कि यह लिंग, योनि, स्तन है. इस तरह शुरुआती दौर में ही बच्चे को जानकारी मिल जाने पर उसे संदेह नहीं होगा और ना ही गलत जानकारी मिलेगी.

प्रश्नों का सीधे और ईमानदारी से जवाब दे
सेक्स को लेकर बच्चा जब कोई जानकारी चाहता है तो सीधे और ईमानदारी से जवाब देना चाहिये क्योंकि इस दौरान यदि उसे संदेह हो गया तो वह सेक्स के बारे में गलत भ्राति बना सकता है या सेक्स के विकृत रूप की कल्पनाकर सकता है. साथ ही उसके द्वारा पूछे गए सवाल को नजरअंदाज न करें न ही उसकी जिज्ञासाओं पर उसकी जिज्ञासाओं पर उसे डांटें इससे बालमन में सेक्स को लेकर गलत धारणा बन जाएगी जिसका आगे जाकर वह गलत प्रयोग कर सकता है.

स्कूल पूर्व उम्र के बच्चों से सेक्स चर्चा
इस उम्र में बच्चे थोड़ा ज्यादा जागरुक होते हैं और उनका सामना कई लोगों से होता है. इस वजह से उनकी जिज्ञासाएं कुछ ज्यादा होती है. इस समय वे अपनी शरीर संरचनाको लेकर भी सजग होने लगते है. तब उनके मन में विपरीत लिंग और उसके शरीर विन्यास सहित कई अन्य बातों को लेकर जिज्ञासाएं बलवती होती है.
अंगो और उनकी निजता के बारे में बताएं- बड़े बच्चों में अपने अंगो को लेकर उत्सुकता कुछ ज्यादा ही रहती है. कई बार सामान्य तौर पर वे अपने गुप्तांगों को हाथ लगाने लगते हैं. उनके इस सामान्य व्यवहार पर नाराज होने की बजाय उन्हे पर्याप्त जानकारी दें साथ ही उस अंग की निजता या प्राइवेसी की जानकारी दें ताकि वह दोबारा ऐसी हरकत न करें.इस उम्र में विपरीत लिंग को लेकर भी काफी जिज्ञासा होती है. ऐसे में उसे बताना चाहिए कि लड़के में क्या लक्षण होते हैं तो लड़कियों की शारीरिक संरचना थोड़ी अलग होती है.

प्राथमिक स्कूलवय उम्र के बच्चों से सेक्स चर्चा
जैसे बच्चा बड़ा होता है उसका दिमाग और खुलता जाता है उसकी सेक्स को लेकर जिज्ञासा कुछ ज्यादा ही होती है . उसकी सोच और समझ का नजरिया भी बदल चुका होता है.इस उम्र में अभिभावक उसे आसानी से बता सकते हैं कि बच्चा पेट में कैसे बड़ा होता है. मां के पेट में कैसे पहुंचता है निषेचन क्या होता है. क्या होता है जब अण्डाणु और शुक्राणु आपस में मिलते हैं. इन बातों को समझाने में अभिभावक को यदि दिक्कत हो रही हो तो प्रकृति (पशु पक्षी पेड़ पौधे) का सहारा ले सकते हैं. धीरे धीरे उसे मानव में समेंटें. बालिकाओं को जरूरत होती है कि उनकी माता द्वारा उसे उसके मासिक धर्म के पहले ऋतुस्त्राव के बारे में जानकारी दे दें. जो कि अक्सर दस या ग्यारह साल की उम्र से शुरू होता है. यह किसी नवकिशोरी के लिये पहला अनुभव भयभीत करने वाला होता है कि यह रक्त स्त्राव क्या है और क्यों हो रहा है. कई बार बालक भी ऋतुस्त्राव के बारे में जानने को उत्सुक होते है. ठीक इसी तरह बालकों को भी वीर्यपात की जानकारी दी जानी चाहिये तथा उन्हे बताना चाहिये यह एक प्रकृति प्रदत्त घटना है.

पूर्ण तरुण (Adolescents) से सेक्स चर्चा
इस उम्र में चर्चा करना वास्तव में थोड़ा असहज होता है. लेकिन यदि पूर्व में इन जैसे विषयों पर बातचीत हो चुकी हो तो मामला सहज होता है.
• यह न सोचे कि खुद समझ जाएगाः इस उम्र में अभिभावक यह सोचते हैं कि बच्चा खुद ही समझ जाएगा लेकिन इस उम्र में वह सेक्स के बारे में कुछ ज्यादा ही जानना चाहता है. पर उसे अपने तरीके से जो पता चलता है वह या तो अधूरा होता है या फिर गलत होता है. मेरे अपने अनुभव के आधार पर कह सकती हूं कि काफी समय तक मैं यह सोचती रही कि महिला पहले सहवास के दौरान गर्भवती नहीं हो सकती. 
• किशोरावस्था( teens) की प्रतीक्षा न करें 
• बताएं सेक्स प्राकृतिक है- बच्चों को यह विश्वास दिलाएं की सेक्स प्राकृतिक और सामान्य घटना है. यह ठीक उसी तरह है जिस तरह विश्वास प्रेम न कि बुरा और घृणा करने योग्य है. इस तरह अभिभावक बच्चों को इसकी अहमियत और समय बताएं. 
• बताएं कि सेक्स का आशय सहवास नहीं है. 
• सेक्सुअल मित्रता के खतरों से आगाह कराएं- अभिभावकों को चाहिये वे बच्चों को सेक्सुअल मित्रता के खतरों की जानकारी दें. मसलन उन्हे यह बताया जाना चाहिये कि इस दौरान गर्भ ठहरने का खतरा होता है. साथ ही कई तरह की सेक्सुअल बीमारियां भी हो सकती है जिसमें एड्स जैसी भयानक बीमारी भी शामिल है. इसके अलावा भावनात्मक रूप से दिल टूटने का भी खतरा रहता है. 
• गर्भ निरोध की जानकारी दें- पूर्ण किशोर बच्चों को गर्भ निरोधकों की भी जानकारी देनी चाहिए और उनके बारें में बताना चाहिए साथ ही उन्हें सेक्सुअल रूप से स्थानान्तरित होने वाली बीमारियों की भी जानकारी देनी चाहिये तथा उससे बचाव के बारे में भी बताना चाहिए.

■ लिंग का औसत आकार क्या है ?
मैन्डेस क्रॉप की किताब के अनुसार औसतन लिंग की लंबाई 15 से.मी. मानी जाती है. इसके साथ ही 90 फीसदी लोगों के लिंग की लंबाई 13 से 18 से.मी. के बीच पाई जाती है. पूर्णतः काम कर रहे लिंग में सबसे छोटे लिंग की लंबाई 1.5 से.मी. तथा अधिकतम लंबाई 30 से.मी. रिकार्ड की गई है.

■ क्या सेक्स के लिए लिंग का आकार महत्वपूर्ण है ?
यह सेक्स मामलों के लिये सबसे ज्यादा पूछा जाने वाला प्रश्न है. जबकि वास्तव में यह गैर महत्वपूर्ण प्रश्न है क्योंकि सेक्स क्रिया के लिये लिंग की लंबाई से कोई लेना देना नहीं होता. लिंग की लंबाई महत्वपूर्ण तब होती है जब सिर्फ आप इस बारे में सोचते हैं. यदि आप किसी से सेक्स कर रहे हैं और आप की आकांक्षा लंबे लिंग की है तब लिंग का आकार महत्वपूर्ण होगा वह भी सिर्फ आपके लिये . सेक्स क्रिया के लिये यदि आपको लगता है लिंग का लंबा होना जरूरी है तब और तब सिर्फ आपके लिये मात्र ही लिंग की लंबाई महत्वपूर्ण होगी. जबकि कई महिलाओं का कहना है कि ज्यादातर आदमी लिंग की लंबाई को लेकर झूलते , परेशान होते रहते हैं जबकि उन्हे इससे कोई लेना देना नहीं है . विशेषज्ञों के अनुसार योनि की लंबाई मात्र 8 से.मी. से 13 से.मी. (3 से 5 इंच ) होती है और छोटा से छोटा लिंग भी इसके व्यास के आकार को छू सकता है. इसलिये कुल मिलाकर सेक्स के लिए लिंग की लंबाई कोई मायने नहीं रखती यह सिर्फ पुरुषों के दिमाग का भ्रम है.

लिंग छोटा है? तो उसे विशालता का अनुभव कराएं 
इसके बारे में आगे कुछ भी बताने से पहले यह बता दूं कि सेक्स क्रिया में लिंग की लंबाई कोई खास महत्व नहीं रखती. यह महज एक दिमागी फितूर है.
यदि आपके पति/पार्टनर का लिंग छोटा है - और वह इस हीन भावना से ग्रस्त है कि सामान्यतौर पर उत्तेजित लिंग का आकार पांच से छः इंच होता है. ऐसे में कुछ ऐसे तरीके है जिनके प्रयोग से इन परिस्थितियों के बाद भी शानदार सेक्स क्रिया की जा सकती है साथ ही उसे यह बताएं कि वह 110 फीसदी पुरुष है. . . और उसकी विशालता में कोई कमी नहीं.

ओरल सेक्स (मुख मैथुन) को ट्राई करें 
उसे शानदार तरीके से मुख मैथुन का आनंद दें, इससे उसे सुखद शारीरिक अनुभूति तो होगी ही इस तरह से आप उसके लिंग की प्रशंसा कर सकती हैं. जब वह आपको नीचे जाकर खिलवाड़ करते हुए देखेगा तो उसे लगेगा कि ऐसा करके आप उसकी अमूल्य संपत्ति का मूल्य बढ़ा रही हैं. ओरल सेक्स से उसे कल्पनातीत आनंद मिलेगा क्योंकि एक छोटे लिंग में भी उतनी ही आनंद ग्रंथियां होती है जितनी औसत आकार के लिंग में होती है. ऐसा करते देख प्रतिउत्तर में वह भी आपको एक बेहतर ओरल सेक्स का आनंद देगा.

जब आप उसके साथ ओरल सेक्स कर रहीं हो, तब आप अपने हाथों का प्रयोग उसके लिंग की चमड़ी को नीचे की ओर खींचे. चमड़ी का नीचे खींचना उसे बड़ा होने का आभाष कराएगा. बीच-बीच में उसके पेरिनियम क्षेत्र में भी उंगलियां घुमा कर उसे उत्तेजना का आनंद दें. इन तरीकों से पुरुषों में अपने बड़े होने का अहसास होता है.

गहराई तक जाने वाली सेक्स पोजीशन को अपनाएं
यदि उसके छोटा लिंग है तो सेक्स क्रिया के लिये ऐसी पोजीशन चुने जिसमें लिंग गहराई तक जाता है. मिशनरी पोजीशन इनके लिये उपयुक्त नहीं रहती है. ऐसे में महिलाएं पुरुष के उपर हों और पीछे से प्रवेश का तरीका अपनाएं. इसमें महिला अपनी पीठ पुरुष की ओर करके बैठे और पुरुष पीठ के बल लेट जाए. इस अवस्था में लिंग का प्रवेश जब योनि में होगा तो वह अपनी पूरी गहराई तक जाएगा. इसी तरह महिला पीठ के बल लेट जाए और अपने पैर घुटनों से मोड़ कर पैरों को पीछे खींच ले. इस अवस्था में अपनी हिप के नीचे वह तकिया लगा ले. इस अवस्था में पुरुष का प्रवेश काफी गहराई तक होता है. इस तरह की सेक्स पोजीशन का प्रयोग दोनों को असीम आनंद के साथ बेहतरीन चरमोत्कर्ष दे सकता है. लेकिन यहां यह जरूर ध्यान रखें की गहराई उतनी महत्वपूर्ण नहीं होती. इस दौरान महत्वपूर्ण यह होता है कि सेक्स के दौरान ज्यादा से ज्यादा भग शिश्न का क्षेत्र रगड़ खाए. इसके लिये वह चाहे तो अपनी प्युबिक बोन से उसे रगड़ सकता है या फिर आप स्वयं इस दौरान अपने भगशिश्न को अपने हाथों से सहला सकती हैं.

लिंग को योनि के कसाव द्वारा पुरी तरह कस कर पकड़ें
अपने वस्ति प्रदेश (pelvic floor) को आधार बना कर काम करें और वहां की मसल्स को तनाव (tone) दें. इसके लिये अपनी योनि में उंगली डाल कर पीसी मसल्स खोजें. फिर उसे कसाव देने का प्रयास करें. यह क्रिया लगातार दोहराए जब तक कि आप पीसी मसल्स को अपनी इच्छा से कस (tight) और ढीला नहीं कर लेते. ऐसे में सेक्स के दौरान आप उसके लिंग को इस प्रक्रिया से कस कर जकड़ सकती हैं.यहां यह भी ध्यान में रखने वाली बात है कि आप सेक्स के दौरान ‘कम खुली’ पोजीशन अपना कर भी अपनी योनि को कसाव दे सकती हैं. इसके लिये पीछे से प्रवेश(rear-entry) पोजीशन के दौरान अपने पैरों को सीधा करके क्रास कर लें या फिर जब पुरुष उपर हो और दोनो का चेहरा एक दूसरे के सामने हो (face-to-face Position) तब आप अपनी एक टांग उपर उठा लें दूसरी सीधी रखे. साथ ही सेक्स क्रिया के दौरान अपना दिमाग अपनी योनि की पहली दो या तीन इंच की गहराई पर जमाएं तथा खुद और उसे भी उस स्थान पर एकाग्रचित्त कार्य करने को कहें.

उसकी ओर गर्व से देखें
सेक्स के अलावा भी जब आप उसके साथ हो उसे इस तरह से देखें जैसे उसे पाकर आप गौरवान्वित हैं. जब भी आप कभी बाहर जाएं तो उसे यह जरूर बताएं कि आपके लिये उसकी कितनी अहमियत हैं. और आप उसे दिलों जान से चाहती हैं. उसके दोस्तों के सामने उसकी बेहतर बातों पर चर्चा करें जिससे उसका पुरुषोचित इगो जागेगा. इस तरह की कई बाते हैं जिसके आधार पर आप उसके जेहन में भरी छोटी लिंग की मानसिक कमजोरी को दूर कर सकती हैं. साथ ही जब आप दोनों अकेले हों तो चर्चा के दौरान आप उसे बता सकती हैं कि आपके लिये उसकी लिंग की लंबाई महत्वपूर्ण नहीं है और सेक्स के दौरान लिंग की लंबाई का कोई खास महत्व नहीं रहता.

तुलना न करें
अपने पिछले पार्टनर के बारे में चर्चा न करें- बल्कि हो सके तो यह चर्चा आपको किसी से नहीं करनी चाहिए. इसके अलावा अपने पति/पार्टनर से अपने किसी पुरुष मित्र की कोई भी चर्चा करने से बचना चाहिए. पुरुषोचित गुणों की वजह से आदमी इसे अपनी तुलना के रूप में देखते हैं. कई बार छोटे लिंग वाले पुरुष के सामने यदि किसी अन्य पुरुष की चर्चा की जाती है तो उसे अपने तुलनात्मक रूप में देखते हैं. क्योंकि उन्हें मालुम नहीं होता है कि सेक्स के दौरान लिंग की लंबाई उतना महत्व नहीं रखती है.

तारीफ जरूर करे।
जब सेक्स कर रहे हों या फिर अपनी सेक्सुअल लाइफ पर चर्चा कर रहें हो तो उसे बताएं कि वह क्या कर सकता है जो आपको बेहद पसंद है या जो आपको प्रशंसनीय लगता है. जैसे ‘मुझे यह अच्छा लगता है जब तुम .......... ’ इस तरह के वाक्य उसमें सकारात्मकता लाते हैं. साथ ही ऐसा करने से आपको भी आनंद आएगा. यहां सिर्फ शब्द ही नहीं हैं जो आपको बोलने हैं. यदि वह ऐसा कुछ करता है जिससे आप उत्तेजित होती हैं तो आवाज से अपने संतुष्ट होने का संकेत दें. इसके अलावा अपने शरीर को हिला डुला कर ऐसे एडजस्ट करें जिससे यह साफ आभास हो कि आप उसे और ज्यादा कुछ के लिये कह रहीं हैं. उसके शरीर की ओर कामुक नजरों से देखें साथ में यही नजर उसके लिंग पर भी हो. उससे कुछ इस तरह के वाक्य कहें- तुम्हें निर्वस्त्र (…) देख कर मेरे मन में प्यार (…) उमड़ता है... आदि कुछ इन तरीकों से उसका विश्वास तेजी से बढेगा और वह एक बेहतरीन पति/प्रेमी साबित होगा.

■ क्या लिंग का आकार बढ़ाया जा सकता है? 
हां लिंग का आकार बढ़ाया जा सकता है लेकिन वह सिर्फ सर्जिकल तरीके से . एक तरीका बायहेरी और दूसरा फैट इंजेक्शन है. बायहेरी तरीके में शरीर के एक हिस्से से लिगमेंट (ligament) काट कर लिंग में जोड़ा जाता है. इस तरीके से सिर्फ 2 इंच तक ही लिंग की लंबाई बढ़ाई जा सकती है. दूसरा तरीका फैट इंजेक्शन का है. इसमें शरीर के हिस्से से फैट निकाल लिया जाता है और उसे लिंग में इंजेक्ट किया जाता है. इसके अलाबा लिंग बढाने के जो भी तरीके दवा या अन्य बताए जाते है वह सिर्फ ठगी का कारण बनते है.

■ लिंग की लंबाई कैसे मापी जाती है?
हेराल्ड रीड जो रीड सेंटर फॉर एम्बुलैटरी यूरोलॉजिकल सर्जरी के डॉक्टर हैं के अनुसार लिंग की लंबाई नापने का सही तरीका निम्न है-
सर्वप्रथम आप सीधे खड़े हो जाएं फिर लिंग को पूर्ण उत्तेजित अवस्था में ले आएं. इसके बाद लिंग को पकड़ कर तब तक नीचे झुकाएं जब तक कि वह जमीन के समानान्तर अवस्था में न आ जाए. इसके पश्चात लिंग जहां शरीर से शुरू होता है वहां से शिश्न मुण्ड की सीध तक स्केल से नाप लें. जो लंबाई आएगी वही लिंग की वास्तविक लंबाई है.

■ लिंग का एक ओर झुकाव (दाएं या बायें) कुछ गलत है?
लगभग सभी लिंग उत्तेजना के दौरान किसी न किसी दिशा में झुके रहते हैं. इनमें से कुछ नीचे की ओर झुके होते हैं. यदि उत्तेजना के दौरान यह झुकाव न हो तो यह लिंग में दर्द का कारण बन सकता है. इसलिये लिंग में झुकाव कुछ गलत नहीं है और न ही यह लक्षण आपके लिंग के साथ कुछ असामान्य है. इस झुकाव से सेक्स क्रिया पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ता है. अपवाद स्वरूप कुछ केस जिसे पेरोंस सिन्ड्रोम कहते है में लिंग का झुकाव बीमारी माना जाता है. यह बचपन से होता है. इस अवस्था में झुकाव की सीमा काफी अधिक कभी-कभी तो 90डिग्री तक पहुंच जाती है. यदि ऐसी परिस्थितियां होती हैं तो फिर चिकित्सक(यूरोलॉजि� ��्ट) को दिखाना जरूरी होता है.

महिलाओं की उत्तेजना को समझना 
महिलाएं जब यथेच्छ तरीके से उत्तेजना को पा जाती हैं तो असाधारण तरीके से बदलती हैं. इनमें से कुछ को ही चरमोत्कर्ष की प्राप्ति के लिये हल्के उकसावे की अलग से आवश्यकता होती है- कई बार तो कल्पनाशीलता ही पर्याप्त होती है. हर महिला यदि चाहे तो हस्तमैथुन द्वारा ही चरमोत्कर्ष को पा सकती हैं और इनमें से कुछ ही होती है जो ऐसा नहीं कर सकती. बहुमत की माने तो - वे उत्तेजना के उत्कर्ष को पा चुकी होती हैं - या स्वयं के द्वारा या फिर पार्टनर के साथ. और कुछ महिलाएं ऐसी होती है जो अनिश्चय की स्थिति में होती हैं कि कहां और कैसे उत्तेजना के उत्कर्ष का अनुभव(experience) करें - या नहीं.

तकनीकी विवरण
• चरमोत्कर्ष प्रतिक्रिया का प्रतिबिंब है. और इस प्रतिबिंब में रुकाबट और तीव्रता आपकी मानसिक अवस्था पर निर्भर करती है. यह सामान्यतः भगशिश्न की ऐंठन द्वारा दागा(triggered) जाता है और योनि के अंदर तीव्र धड़कनों की एक श्रृंखला के रूप में अनुभव किया जाता है. लगभग प्रत्येक महिलाएं भगशिश्न की उत्तेजना के द्वारा चरमोत्कर्ष को पा सकती है, फिर भी बहुत कम महिलाएं ऐसी होती है जिन्हे इसके लिये बगैर भगशिश्न उत्तेजना के लिंगाघात की जरूरत होती है. किसी महिला को चरमोत्कर्ष पाने के लिये लगातार उत्तेजना की जरूरत होती है. यदि उकसावे भरी उत्तेजना रुक गई तो उसके चरमोत्कर्ष तक पहुंचने के पहले ही उसकी इन्द्रियजनित चेतना (सनसनाहट) खत्म हो जायेगी.

जाने दो’ का मतलब सीखें
• चरमोत्कर्ष आपकी ‘जाने दो’ और थमने की योग्यता पर निर्भर करता है, और यही इन्द्रियजनित चेतना आपको उपर तक ले जाती है. थकान, क्षोभ और तनाव ये सभी बिन्दु आपके चरमोत्कर्ष को प्राप्त करने वाली अनुभूति के ध्यान को भंग करते हैं. अपने पार्टनर के सामनेर् ईष्या और कोध भी आपको मानसिक तौर पर पीछे धकेल सकते हैं और आपकी सेक्सुअल प्रतिक्रिया की क्षमता में बाधक बनते हैं- कई बार यह आपकी सफलता को असंभव भी बना सकते हैं. इसके अलावा कुछ भावनात्मक सोच भी आपके चरमोत्कर्ष पाने में बाधक बन सकती है. उदाहरण के तौर पर सेक्स या कुछ महिलाओं के प्रति नकारात्मक सोच, नियंत्रण खो देने का डर आदि ऐसे बिन्दु हैं जो आपको चरमोत्कर्ष से पीछे ढकेल सकते हैं. इसलिये यदि आप ऐसे व्यक्ति हैं जो स्वयं पर और स्वयं की भावनाओं और सोच पर अपना नियंत्रण नहीं खोते तो आप जबर्दस्त चरमोत्कर्ष को पाने में सफल होंगे. कुल मिलाकर इसका आशय यह है कि आपकी चरमोत्कर्ष की असफलता खुद आपके असफल होने के डर पर निर्भर करती है न कि आप शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं न ही आपको किसी तरह की बीमारी है.

चरमोत्कर्ष के लिये सही मूड
• यदि आपके विचार या सोच का खाका सही हो तो चरमोत्कर्ष को पाना और आसान हो जाता है. बिस्तर पर जाने के पहले या उन क्षणों के दौरान स्वयं को समय और प्राइवेसी प्रदान करें ताकि आपको विघ्न या रूकावट का मलाल या डर न रहे, साथ ही असफलता या डर के बारे में चर्चा न करें ना ही उन बातों की चर्चा करे जिससे किसी तरह का शंशय पैदा हो. बिस्तर पर जाने के पूर्व ही कलह झगड़ों का निपटारा कर लें या उन्हें दूर छोड़ दें. इसलिए शांत दिमाग बेहतर सेक्स के लिये बेहतर होता है. इसके अलावा यह भी ध्यान में रखना चाहिये कि सेक्स स्वयं में तनाव दूर करने का सबसे बेहतर माध्यम होता है.

तनाव से दूर रहे
• तनाव- ये महिलाओं में चरमोत्कर्ष पाने की असफलता के सामान्य कारण हैं. लंबी सांसों की एक्सरसाइज इससे उबरने में सहायता प्रदान करती है. इसके लिये प्रयास करें - धीमी और गहरी सांस अंदर लें फिर बाद में ठीक उसी तरह छोड़े वह भी बगैर अतिरिक्त बल लगाए. जब आप इसका अभ्यास कर लेंगे तो यह सामान्य लगेगा.

बेहतर सेक्स और उसके तरीके (पुरुषों के लिये): 
बेहतर सेक्स के लिये क्या आप जानते हैं कि महिला चाहती क्या है? बेडरूम में उससे प्यार से पेश आइये और इस शानदार पलों का दोनों आनंद उठाइये. और यहां गलतियां माफ हैं. यहां आप अपनी सेक्स क्षमता का पूरा और सही प्रयोग करें. इसके साथ ही यह सुनिश्चित करें की जब भी वह आप के साथ सेक्स कर रही है तो वह तीव्र उत्साह (orgasm) और उत्तेजना में हो और वह आपमें आनंद ढूंढ़े. कुछ ऐसे तरीके हैं जिन्हें अपनाने के बाद नकली उत्तेजना की आवश्यकता नहीं पड़ती. यहां अपनी पत्नी या पार्टनर को बेहतर सेक्स का आनंद देने के कुछ तरीके बताए जा रहे हैं -

कैसे बहकाएं पत्नी को :
महिला को बहकाना हमेशा पुरुषों के लिए चुनौती होता है. किन्तु किसी किसी अवसर पर ही जीवन साथी को बहकाने का अच्छा प्रतिफल मिलता है.शादी के कुछ सालों बाद कुछ जोड़े पाते हैं कि सेक्स और प्रेम भावना अपनी वास्तविक चमक खोती जा रही है साथ ही दिन-ब-दिन सेक्स करना सिर्फ एक रुटीन उद्देश्य रह जाता है. जो कि उनकी कल्पनाशीलता और उत्तेजना को कम करता जाता है.
एक समय यह क्रिया विशेष रूप से तब महत्वपूर्ण हो जाती है जब महिला एक बच्चे को जन्म देती है. अक्सर बच्चे के जन्म के बाद महिला विशेषतः अनसेक्सी महसूस करती है. यह कठोर सोच उन्हे एक बड़े परिवर्तन के तहत उसे शारीरिक और मानसिक रूप से नीचे ले जाते हैं. बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं की यह सामान्य सोच बन जाती है कि वह पहले मां है बाद में प्रेमिका.
कोई भी आदमी इस परिस्थिति को समझते हुए कुछ तरीके अपनाकर अपने पार्टनर को आकर्षक और सेक्सी बना सकता है. इसका सबसे बेहतर तरीका है कि पॉजिटिव प्रयासों से अपने पार्टनर को बहकाएं (उत्तेजित करें) ज्यादातर आदमी इस परिस्थितियों से उकता कर नए प्रेम प्रसंगों के प्रलोभन से जुड़ने का प्रयास करते हैं, जबकि यह उचित नहीं है. यदि आप अपने जीवन साथी को बहकाने जा रहे हैं या प्रयास कर रहें हैं तो यह आपको उन प्रलोभनों की वास्तविकता से बेहतर क्षण प्रदान करेगा. ऐसे में विशेषतः ज्यादातर महिलाएं रोमांस और पूर्वज्ञान से आनंदित होकर पुरुषों को पू्र्ण आनंद देती हैं.

अच्छी तरह बढ़ कर तैयारी करें :
अपने पूर्व ज्ञान को मजाक का रूप दें. यह बहकावे के प्लान को बेहतर बनाने के लिए जरूरी है. कुछ लोग बहकावे को लेकर उन क्षणों की तैयारी का आनंद उठाते हैं.
यदि आपके कोई बच्चा है तो उसकी कोई उचित व्यवस्था पहले से कर दें ताकि बाद के अंतिम लम्हों में आपको किसी प्रकार की हिचक न हो. यह अरेंजमेंट हर उस स्थान में कर सकते हैं. जहां का आप इरादा रखते हैं. स्थान को लेकर संकोच नहीं करना चाहिये. यदि आप बाहर खाना सुनिश्चित करते हैं तो मैं यह विश्वास दिलाती हूं कि यह एक बेहतर अवसर है जहां आपकी पत्नी काफी इन्ज्वाय करेगी. ठीक ऐसी ही परिस्थितियां तब भी होंगीं जब आप अपरान्ह का फिल्म शो देखने का मन बनाते हैं. 
बहलाने का कोई भी मौका मिलता है तो उसे न छोड़ें. यही स्थिति ऐसी होगी जब आपकी पत्नी यह सहजता से सोचेगी कि आप उसे कितना चाहते हैं. कभी-कभी उसे उपहार भी दें . जैसे उसकी बगैर जानकारी के उसके लिये उसका पसंदीदा परफ्यूम लाकर दें या फिर कोई सेक्सी सा अण्डरवियर उसे गिफ्ट करें. ऐसे में जब भी वह इनका प्रयोग करेगी आपको याद करे रोमांचित होगी.

दिन में :
शाम के बेहतर बहकावे के लिये अपरान्ह में दोनों के बीच कोई गैर सेक्सुअल हरकत अच्छे वार्म- अप का काम करती है. कोई रोमांटिक फिल्म देखने जाएं या फिर मौका मिलने पर पैदल साथ-साथ बाजार घूमने निकल जाएं. 
इस तरह के कई अवसर उन्हें बहलाने के बेहतर साधन हो सकते हैं. इससे वे एक ओर तो पारिवारिक दबाव से मुक्त होगी साथ ही उसे एक नएपन का भी एहसास होगा.

सुहानी शाम का डिनरः
शाम की शुरुआत कैंडल लाइट डिनर से की जा सकती है. जो कि या तो किसी मनपसंद रेस्टोरेंट में हो सकता है या फिर घर में ही इसकी तैयारी की जा सकती है, वह भी घर की किचन में बगैर समय गवांए. भोजन करने के दौरान न तो ज्यादा खाएं न ही ज्यादा पियें और न ही एक दूसरे को ज्यादा के लिये प्रेरित करें.साथ ही इस बात का ख्याल रखना चाहिये कि क्या खा रहे हैं. निश्चित मात्रा का भोजन खाने में काफी अच्छा होता है, और आदमी इसे और बेहतर बना सकता है. इस दौरान अपनी पत्नी को अपनी डिश चखाएं और उसकी डिश का भी आनंद ले. यह सब बिना झिझक और औपचारिकता के करें. बस यहीं से बहकाने का सेक्सुअल पार्ट शुरू होता है, लेकिन यह कार्य अब भी आधा ही है.

आपस में छेड़छाड़ करें:
आपसी छेड़छाड़ दो प्रेमियों के बीच का महत्वपूर्ण फोरप्ले (fore play) होती है. इस दौरान धीमी लाइट जलाकर कोई पसंदीदा संगीत चालू कर लें. छेड़छाड़ के बीच-बीच में एक दूसरे को किस करने का मौका न गंवाएं साथ ही एक दूसरे से चिपक कर लेटे. इस दौरान पूरी सौम्यता बरते न कि सीधे सहवास के लिए उन्मुख हो जाएं.

अपनी पार्टनर के कपड़े उतारें:
छेड़छाड़ के दौरान धीरे-धीरे उसके कपड़े उतारें और उसके सुंदर शरीर की तारीफ करने से न चूके. उसे यह बताएं की उसकी वजह से आप कितने खुश हैं. यही वह प्वांइट होगा जब आप दोनों को एक दूसरे की गर्मी और उत्तेजना का अहसास होना शुरू हो जाएगा. अब जबकि उसके बदन में नाम मात्र के कपड़े बचे हों तो उसे भी इस क्रिया में सहभागी बनने को कहें. यह उसके लिये भी एक वास्तविक आनंद होगा, ठीक उसी तरह जैसे की आपके लिये.जब वह पूरी तरह कपड़े उतार चुकी हो तब वगैर वक्त गंवाए उसके शारीरिक सौंदर्य का महिमामंडन कर लें, साथ ही सेक्सी कमेंट पास करें. इस दौरान के सेक्सी कमेंट उसे शारीरिक रूप के अलावा मानसिक रूप से भी उत्तेजित करते हैं.

रतिक्रिया( foreplay)
यदि अभी तक सब कुछ ठीक रहा है तो यह स्टेज आपके कुछ हटकर आनंद देने वाली है.इसके लिये आप उसे अपनी टांगे फैला कर लेटने को कहें और धीरे-धीरे उसके शरीर को नख से सिर तक दुलारें. जगह-जगह दबाएं यदि उसे पसंद हो. उसके स्तनों को खरोंचते हुए दबाएं ताकि उसे एक मीठे दर्द का अहसास हो साथ ही इस दौरान स्तन के निप्पल को भी खींचे. बीत-बीच में इन सभी अंगों को मसलें. अब आप देखेंगे की उसकी उत्तेजना कैसे उसके चेहरे पर झलकने लगी है, जिसकी गवाही उसका शरीर भी देने लगेगा.
अब उसके भग और भगशिश्न को सहलाएं. आप पाएंगे कि वह तीव्र उत्तेजित (highly aroused) हो गई है. इस दौरान आप हर उस हरकत को बढ़ावा दे जिसपर आप पाएं कि ऐसा करने पर उसे आनंद की अनुभूति हो रही है और वह उत्तेजना के शिखर की ओर बढ़ रही है. अब जबकि वह तीव्र उत्तेजित हो गई है और अच्छी तरह स्निग्ध हो चुकी है तब आप उसकी योनि में पहले एक अंगुली डाले फिर दो ... फिर आप वह करें जो उसे पसंद हो...

सेक्स का सही समय:
अब जबकि वह तीव्र उत्तेजित हो चुकी होगी और वह आप से एकाकार होने की इच्छा रखने लगी है. अब यह सेक्स या सहवास करने का उचित समय है, जो कि उसके लिये नई सनसनाहट पैदा करेगा. इस दौरान बीच-बीच में आप सेक्स पोजीशन में बदलाव ला सकते हैं . अब वह इस दौरान वह एक उत्तेजना के चरम शिखर पर पहुंच कर संतुष्ट हो जाएगी. 
यदि आप एक और दौर चाहते हैं तो उसकी पसंद के अनुरूप आप दूसरा दौर भी चला सकते हैं.वहीं यदि आपकी पार्टनर जल्दी ही बच्चे की मां बनने वाली है तो सेक्स का तरीका थोड़ा बदलना होगा. इस दौरान गहराई वाले तथा झटकेदार सेक्स से बचें . इसके लिए अपने पार्टनर को चरम उत्तेजित करें फिर उसकी योनि पर अपने शिश्न के अग्रभाग को प्रवेश कराकर बगैर गहराई में गए ही सेक्स करें. इसके अलावा अपने चिकित्सक से भी सलाह लें.

बेहतर सेक्स पोजीशन:
सेक्स करने के शुरुआती दौर में सबसे पहले वह सेक्स पोजीशन चयन करनी चाहिए जो शुरुआती दौर में कम गहराई वाली हो और बाद में गहरे में प्रवेश करता हो. लेकिन याद रखने वाली बात यह है कि दूरदर्शी युगल इन क्षणों की उत्तेजना के तरीके स्वयं खोज लेते हैं और यह आनंददायी स्थितियां जो वे अपने अनुरूप पाते हैं उसे प्रयोग करते हैं. यह तरीका किसी भी विशेषज्ञ के बताए तरीके से बेहतर होता है. 
कुल मिलाकर पोजीशन वह होनी चाहिए जिसमें दोनों को बराबर की आनंदानुभूति हो .सेक्स पोजीशन को लेकर यद्यपि कई तरीके हैं फिर भी इसे अपनी सुविधानुसार इसका प्रयोग करना चाहिये. सहवास के दौरान पुरुष का ऊपर होना आधार पोजीशन होती है. फिर भी कई बार इसमें प्रवेश गहराई तक नहीं हो पाता है.इसके लिए बेहतर विकल्प है कि उसके नितम्ब (buttocks) के नीचे कुछ रखें इसके लिए सबसे बेहतर है कि तकिये का प्रयोग किया जाये. इस तरीके में वह अपने नितंब का सही एंगल बना सकती है. इसलिये जब आप प्रवेश (penetration) करेंगे तो वह प्रवेश के कोण (angle) को नियंत्रित कर सकने में सक्षम होती है. ऐसे में वह सहवास के दौरान आघात पहुंचाने वाले क्षेत्र पर भी नियंत्रण पा सकती है. 

कुछ मामलों में महिलाएं सहवास के लिए खुद को उपर रखना पसंद करती है. क्योंकि इस स्थिति में वह प्रवेश को और बेहतर तरीके से नियंत्रित कर सकती हैं.

...और आखिर में:
अब जब आप रतिक्रिया पूर्ण कर चुके हैं, अब आप पत्नी पर छोड़ दे कि शाम की शुरुआत का सबसे सुखद अंत क्या होगा. अब वह आपकी बांहों के घेरे में सोना चाहेगी या फिर वह आपसे कुछ चीजों के बारे में बात करना चाहेगी, जो भी हो आप दोनों के लिए प्यार भरी और संदेश देने वाली होगी. 
इस दौरान आप उसे बताएं कि आप उसे कितना प्यार करते हैं और आपको उसकी कितनी आवश्यकता है. इसके अलावा उससे चर्चा करें कि जब आप दोनों साथ में थे तो सबसे ज्यादा आनंददायी क्षण कौन से रहे. फिर आप दिनभर के साथ बिताए समय की चर्चा कर उसमें नई अनुभूति की जान छिड़क सकते हैं. इस सबके दौरान उसके जवाबों पर ध्यान दे और आप अपना नया अनुभव तैयार करें, ताकि अगली बार आप और बेहतर कर सकें.

महिलाएं अपने पुरुष साथी की पसंद जानने की कोशिश करें-------स्तन , नितम्ब या पांव - क्या है उसकी पसंद 
पुरुष से पूछे कि उसे स्तन, नितंब और पांवों में से किसे ज्यादा पसंद करता है, और एक अवसर आएगा जब वह कहेगा तीनों. पर इनमें से कुछ ऐसे भी होते हैं जिनकी पसंद महिलाओं के अंग विशेष ही होते हैं. इसलिये उससे जाने कि उसकी नजर में आपका विशेष अंग कौन सा है और उन्हे किस तरह से देखना पसंद करता है. क्योंकि ये उत्तेजना के महत्वपूर्ण उपकरण साबित हो सकते हैं.

स्तन
इनकी सुंदरता मुख्यतः इनका आकार है, तथा इस आकार के नाम पर आपके पास कुछ ऐसा है जो किसी भी पुरुष को अलमस्त जंगली बना सकता है. उन्नत वक्षों वाली महिला के जरूरी नहीं है कि इनके दुबले लंबे और चिकने पांव भी हों लेकिन इनका भोगी आकार का डील-डौल भी सेक्सी लगता है. इसलिये जरूरी है कि स्तनों के आकार पर भी ध्यान देना जरूरी होता है. इसलिये अच्छी और बेहतर सपोर्ट वाली ब्रा पर दिल खोल कर खर्च करें क्योंकि इनमें ढंके स्तन पुरुषों के लिये खुला आमंत्रण होते हैं. कभी-कभी कम भी ज्यादा होता है जब वह वक्षों के बीच के हिस्से से दिखाई देता है. इसलिये अपने सीने के उभारों को हाईलाइट करने के लिए काफी खुले गले के टॉप के साथ बेहतर जैकेट या कुछ और पहने.

नितम्ब
यह भी सेक्सी आमंत्रण का महत्वपूर्ण हिस्सा है. यदि आप अपनी कद्र बढ़ाना चाहती है तो इसपर भी ध्यान देना जरूरी है. इसके द्वारा आमंत्रण के लिये पतला और शरीर से चिपकने वाला कोमल ट्राउजर पहने. ज्यादातर पुरुष बड़े नितम्ब काफी पसंद करते हैं. लेकिन बड़े नितम्बों से आपका लुक छोटा दिखने लगता है. इसके लिये नीचे की ओर चौडे होते जाने वाले ट्राउजर को पहनना बंद करें. ऐसा मटेरियल प्रयोग में लाएं जो पैरों में लूज फिटिंग का हो तथा नितंबों के पास चिपका हुआ हो तथा कमर के काफी नीचे से हो तो यह किसी भी पुरुष को प्रत्यक्ष तौर पर आमंत्रित करता है. यदि आप पैंटी पहन कर पुरुष को आमंत्रित करना चाहती है तो ऐसी पैंटी पहने जो काफी पारदर्शी हो या फिर जिसके पहनने से ज्यादातर हिप का हिस्सा दिखाई दे. यदि पैंट द्वारा आकर्षण दिखाना है तो काफी पतली व इलास्टिक युक्त पैंट पहने जिससे आपकी पैंटी की लाइन उसमें उभर कर दिखे. यह पुरुषों को उत्तेजित करने का एक अच्छा माध्यम हो सकता है.

पांव 
कई बार किसी महिला के पांव पुरुष को उत्तेजित करने के बेहतर माध्यम बनते हैं. एक दूसरे के ऊपर चढ़े हुए या खुले हुए वह भी शार्ट स्कर्ट से झलकते हुए पांव आश्चर्यजनक तरीके से रिझाते व ललचाते हैं. इनमें स्टाकिंग के फीतेदार जोड़े डले हो तो यह उन पावों में एक और सेक्सी लुक डाल देते हैं. वहीं यदि कुछ पहनकर पावों को आमंत्रण लायक तैयार करना है तो स्किन टाइट पतले कपड़े पहने साथ ही हाई हील की सैंडिल डाल लें .

लड़कों में यौवनारम्भ के क्या लक्षण है?
यौवनारम्भ के समय सामान्यतः लड़के अपने में पहले की अपेक्षा बढ़ने की तीव्रगति को महसूस करते हैं, विशेषकर लम्बाई में। कन्धों की चौड़ाई भी बढ़ जाती है। 'टैस्टोस्ट्रोन' के प्रभाव से उनके शरीर में नई मांसलता और इकहरेपन की आकृति बनती है। उनके लिंग में वृद्धि होती है और अण्डकोष की त्वचा लाल-लाल हो जाती है एवं मुड़ जाती है। आवाज गहरी हो जाती है, हालांकि यह प्रक्रिया बहुत धीरे-धीरे होती है फिर भी कोई आवाज फटने जैसा अनुभव हो सकता है। यह स्वाभाविक और प्राकृतिक है, इसमें चिन्ता की कोई बात नहीं होती। लिंग के आसपास बाल, दाड़ी और भुजाओं के नीचे बाल दिखने लगते हैं और बढ़ने लगते हैं। रात्रिकालीन निष्कासन (स्वप्नदोष या भीगे सपने') सामान्य बात है। त्वचा तैल प्रधान हो जाती है जिससे मुहासे हो जाते हैं।

लड़कियों में यौवनारम्भ के क्या लक्षण है?
शरीर की लम्बाई और नितम्बों का आकार बढ़ जाता है। जननेन्द्रिय के आसपास, बाहों के नीचे और स्तनों के आसपास बाल दिखने लगते हैं। शुरू में बाल नरम होते हैं पर बढ़ते- बढ़ते कड़े हो जाते हैं। लड़की का रजोधर्म या माहवारी शुरू हो जाती है जो कि योनि में होने वाला मासिक रक्तस्राव होता है, यह पांच दिन तक चलता है, जनन तंत्र पर हॉरमोन के प्रभाव से ऐसा होता है। त्वचा तैलीय हो जाती है जिससे मुंहासे निकल आते हैं

यौवनारम्भ के दौरान स्तनों में क्या बदलाव आता है?
स्तनों का विकास होता है और इस्ट्रोजन नामक स्त्री हॉरमोन के प्रभाव से बढ़ी हुई चर्बी के वहां एकत्रित हो जाने से स्तन बड़े हो जाते हैं।

यौवनारम्भ के परिणाम स्वरूप औरत के प्रजनन अंगों में क्या बदलाव आता है?

जैसे ही लड़की के शरीर में यौवनारम्भ की प्रक्रिया शुरू होती है, ऐसे विशिष्ट हॉरमोन निकलते हैं जो कि शरीर के अन्दर के जनन अंगों में बदलाव ले आते हैं। योनि पहले की अपेक्षा गहरी हो जाती है और कभी कभी लड़कियों को अपनी जांघिया (पैन्टी) पर कुछ गीला- गीला महसूस हो सकता है जिसे कि यौनिक स्राव कहा जाता है। गर्भाशय लम्बा हो जाता है और गर्भाशय का अस्तर घना हो जाता है। अण्डकोष बढ़ जाते हैं और उसमें अण्डे के अणु उगने शुरू हो जाते हैं और हर महीने होने वाली 'अण्डोत्सर्ग' की विशेष घटना की तैयारी में विकसित होने लगते हैं।

रजोधर्म/माहवारी क्या है?
10 से 15 साल की आयु की लड़की के अण्डकोष हर महीने एक विकसित अण्डा उत्पन्न करना शुरू कर देते हैं। वह अण्डा अण्डवाही नली (फालैपियन ट्यूव) के द्वारा नीचे जाता है जो कि अण्डकोष को गर्भाषय से जोड़ती है। जब अण्डा गर्भाषय में पहुंचता है, उसका अस्तर रक्त और तरल पदार्थ से गाढ़ा हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है कि यदि अण्डा उर्वरित हो जाए, तो वह बढ़ सके और शिशु के जन्म के लिए उसके स्तर में विकसित हो सके। यदि उस अण्डे का पुरूष के वीर्य से सम्मिलन न हो तो वह स्राव बन जाता है जो कि योनि से निष्कासित हो जाता है।

माहवारी चक्र की सामान्य अवधि क्या है?
माहवारी चक्र महीने में एक बार होता है, सामान्यतः 28 से 32 दिनों में एक बार।

मासिक धर्म/माहवारी की सामान्य कालावधि क्या है?
हालांकि अधिकतर मासिक धर्म का समय तीन से पांच दिन रहता है परन्तु दो से सात दिन तक की अवधि को सामान्य माना जाता है।

माहवारी मे सफाई कैसै बनाए रखें?
एक बार माहवारी शुरू हो जाने पर, आपको सैनेटरी नैपकीन या रक्त स्राव को सोखने के लिए किसी पैड का उपयोग करना होगा। रूई की परतों से पैड बनाए जाते हैं कुछ में दोनों ओर अलग से (Wings) तने लगे रहते हैं जो कि आपके जांघिये के किनारों पर मुड़कर पैड को उसकी जगह पर बनाए रखते हैं और स्राव को बह जाने से रोकते हैं।


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जोश-ए-जवानी

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