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आयुर्वेद में है सेक्स करने के कड़े नियम

फीचर डेस्क। हजारों साल से आयुर्वेद हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए जाना जाता है। आयुर्वेद ने मनुष्य जीवन के लगभग सभी पहलुओं पर विस्तार से अध्ययन किया है। इसी कड़ी में आयुर्वेद ने स्वास्थ्य एवं सामाजिक मर्यादाओं को देखते हुए मैथुन क्रिया के लिए भी कुछ सीमाएं बांधी है।
मौजूदा समय में खासकर युवा वर्ग इस क्रिया के लिए काफी भटकाव की स्थिति में है। भागदौड़ भरी जिंदगी में किसी भी प्रकार से लोग संभोग या सेक्स करने के लिए आतुर रहते है, जिसपर आयुर्वेद में काफी कड़ायी से कुछ नियम बनाये है जिसका जिक्र हम यहां कर रहें है-
1- आयुर्वेद के अनुसार स्त्री के मासिक धर्म के दौरान अथवा किसी रोग, संक्रमण होने पर सेक्स नहीं करना चाहिए।
2- बदसूरत, दुष्चरित्र, अशिष्टï व्यवहार करने वाली तथा अकुलीन, पर स्त्री या पुरूष के साथ सेक्स नहीं करना चाहिए।
3- मित्र व्यवहार न होने पर, काम की इच्छा न होने पर भी संभोग नहीं करना चाहिए।
4- आयुर्वेद ने ऐसे स्थानों का जिक्र का भी वर्णन किया है, जहां सेक्स करना वर्जित है। पवित्र माने जाने वाले वृक्षों के नीचे, सार्वजनिक स्थानों, चौराहों, उद्यान, श्मशान घाट, वध स्थल, चिकित्सालय, औषधालय, मंदिर, ब्राम्हण, गुरू और अध्यापक के निवास स्थान में सेक्स करने की मनाही है।
5- प्रात: एवं सायं की संधि बेला में, पूर्णमासी, अमावश्या और अष्टïमी के दिन सेक्स करना चाहिए।
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जोश-ए-जवानी

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