पुरुषों के लिए कामोत्तेजना का मतलब सिर्फ शारीरिक ही होता है- उनका लिंग
सख्त होता है और फिर उन्हें सेक्स चाहिए होता है। लेकिन महिलाओं को उत्तेजन
के लिए सोच और भावनाएं योनि की तरावट जैसे भौतिक संकेतों की तुलना में
अधिक महतवपूर्ण होती हैं।
किसी सहकर्मी के बड़े गले वाली ड्रेस से दिखने वाले वक्षों के बीच का अंतराल, क्लास की किसी लड़की के आकर्षक पैर, यहाँ तक कि किसी अजनबी महिला के परफ्यूम कि खुशबू- अचानक सेक्स कि ज़रूरत महसूस होना और कामोत्तेजित हो जाना पुरुषों के मामले में कोई बड़ी बात नहीं। और एक बार दिमाग में सेक्स घुस आये तो पुरुषों का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ ओर्गास्म होता है और ये सारी प्रक्रिया काफी स्पष्ट और सरल ही होती है।
वहीँ महिलाओं कि कहानी ज़रा जटिल होती हैं। हाल ही कि रिसर्च ये खुलासा करती है कि महिलाओं के शारीरिक उत्तेजना कि क्या कहानी है, उनके सेक्स कि चाह के क्या कारण हैं और ये सब पुरुषों से अलग कैसे है।
अचानक मूड में
पुरुषों से अलग, महिलाएं हर समय सेक्स के मूड में नहीं रहती। बल्कि कई बार इसका उल्टा सच होता है जब वो अपने कामोत्तेजित पुरुष साथी के सख्त लिंग को देखकर मूड में आने लगती हैं और फिर अचानक कामोत्तेहित हो जाती हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार इसकी वजह हैं महिलाओं की 'प्रतिक्रियात्मक चाह'-जैसे की उनका मूड उनके पार्टनर द्वारा किये गए काम की प्रतिक्रिया से बन सकता है जैसे कि पार्टनर का उनके स्तन को छूना। लेकिन पुरुष अक्सर बरबस ही कामोत्तेजना महसूस करने में सक्षम हैं और इसी कारण अक्सर वो गलत समय पर और गलत जगह पर जननांग के सख्त हो जाने के कारण शर्मिंदा हो सकते हैं।
इसका अर्थ ये बिलकुल नहीं कि महिलाएं कभी बरबस सेक्स उत्तेजना महसूस ही नहीं कर सकती। उनके लिए बरबस उत्तेजना अक्सर नए रिश्तों में या अपने पार्टनर से काफी समय दूर रहने के बाद देखि जाती है।
छुअन और किसिंग
सेक्स के दौरान भी, पुरुषों से अलग महिलाओं का एकमात्र उद्देश्य ओर्गास्म नहीं होता। बेशक चरम तक पहुंचना हर महिला को पसंद है, लेकिन महिलाओं कि प्राथमिकता केवल यही नहीं होती।भावनात्मक जुड़ाव और प्यार का प्रदर्शन महिलाओं के सेक्स की चाह की कुछ वजह हैं। और यदि सेक्स के उपरांत वो अच्छा महसूस कर पाती है तो इस बार का ख़ास अनुभव और यादें उसे अगली बार कामोत्तेजित करने में सहयोग करते हैं।
तो यदि आप अपनी गर्लफ्रेंड का मूड बनाने की कोशिश में हैं तो इन् बातों को याद रखें, प्यार की छुअन और चुम्बन उसका मूड बनाने में मदद कर सकते हैं। और यदि ओर्गास्म नहीं भी हुआ, तो इसका अर्थ ये बिलकुल नहीं की उसे अच्छा अनुभव नहीं हुआ।
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किसी सहकर्मी के बड़े गले वाली ड्रेस से दिखने वाले वक्षों के बीच का अंतराल, क्लास की किसी लड़की के आकर्षक पैर, यहाँ तक कि किसी अजनबी महिला के परफ्यूम कि खुशबू- अचानक सेक्स कि ज़रूरत महसूस होना और कामोत्तेजित हो जाना पुरुषों के मामले में कोई बड़ी बात नहीं। और एक बार दिमाग में सेक्स घुस आये तो पुरुषों का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ ओर्गास्म होता है और ये सारी प्रक्रिया काफी स्पष्ट और सरल ही होती है।
वहीँ महिलाओं कि कहानी ज़रा जटिल होती हैं। हाल ही कि रिसर्च ये खुलासा करती है कि महिलाओं के शारीरिक उत्तेजना कि क्या कहानी है, उनके सेक्स कि चाह के क्या कारण हैं और ये सब पुरुषों से अलग कैसे है।
अचानक मूड में
पुरुषों से अलग, महिलाएं हर समय सेक्स के मूड में नहीं रहती। बल्कि कई बार इसका उल्टा सच होता है जब वो अपने कामोत्तेजित पुरुष साथी के सख्त लिंग को देखकर मूड में आने लगती हैं और फिर अचानक कामोत्तेहित हो जाती हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार इसकी वजह हैं महिलाओं की 'प्रतिक्रियात्मक चाह'-जैसे की उनका मूड उनके पार्टनर द्वारा किये गए काम की प्रतिक्रिया से बन सकता है जैसे कि पार्टनर का उनके स्तन को छूना। लेकिन पुरुष अक्सर बरबस ही कामोत्तेजना महसूस करने में सक्षम हैं और इसी कारण अक्सर वो गलत समय पर और गलत जगह पर जननांग के सख्त हो जाने के कारण शर्मिंदा हो सकते हैं।
इसका अर्थ ये बिलकुल नहीं कि महिलाएं कभी बरबस सेक्स उत्तेजना महसूस ही नहीं कर सकती। उनके लिए बरबस उत्तेजना अक्सर नए रिश्तों में या अपने पार्टनर से काफी समय दूर रहने के बाद देखि जाती है।
छुअन और किसिंग
सेक्स के दौरान भी, पुरुषों से अलग महिलाओं का एकमात्र उद्देश्य ओर्गास्म नहीं होता। बेशक चरम तक पहुंचना हर महिला को पसंद है, लेकिन महिलाओं कि प्राथमिकता केवल यही नहीं होती।भावनात्मक जुड़ाव और प्यार का प्रदर्शन महिलाओं के सेक्स की चाह की कुछ वजह हैं। और यदि सेक्स के उपरांत वो अच्छा महसूस कर पाती है तो इस बार का ख़ास अनुभव और यादें उसे अगली बार कामोत्तेजित करने में सहयोग करते हैं।
तो यदि आप अपनी गर्लफ्रेंड का मूड बनाने की कोशिश में हैं तो इन् बातों को याद रखें, प्यार की छुअन और चुम्बन उसका मूड बनाने में मदद कर सकते हैं। और यदि ओर्गास्म नहीं भी हुआ, तो इसका अर्थ ये बिलकुल नहीं की उसे अच्छा अनुभव नहीं हुआ।
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