मुहब्बत अगर एक खूबसूरत एहसास है तो एक एहसास को जाहिर करने का एक बेहतर जरिया है सेक्स। लेकिन सेक्स का लेकर आज भी कई भ्रांतियां हमारे समाज में बनी हुई है। सेक्स अगर एक तरफ उत्सुकता, भावना, अपनापन और प्यार को गहरा करने का माघ्यम बन सकता है।
तो वहीं दूसरीतरफ ये असमंजस, अपराघबोघ, अवसाद, डर और गुस्से को भी बढा सकता है, क्योकि सेक्स के प्रति हमारा नजरिया बहुत हद तक हमारे समाज, हमारी परवरिश और सेक्स की जानकारियों के स्त्रोतों से लेकर हमारे अनुभवों और बहुत हद तक हमारी उम्र पर भी निर्भर करता है।
तो वहीं दूसरीतरफ ये असमंजस, अपराघबोघ, अवसाद, डर और गुस्से को भी बढा सकता है, क्योकि सेक्स के प्रति हमारा नजरिया बहुत हद तक हमारे समाज, हमारी परवरिश और सेक्स की जानकारियों के स्त्रोतों से लेकर हमारे अनुभवों और बहुत हद तक हमारी उम्र पर भी निर्भर करता है।
20 की उम्र में सेक्स
चुंकि इस उम्र में सेक्स हार्मोन्स काफी तेजी से बढते है और सेक्स को लेकर उत्सुकता और रोमांस भी काफी होता है। इसलिए सेक्स को लेकर एक्सपेरिमेंट भी इस उम्र में ज्यादा होते है। वैसे, किशोरवय में सेक्स को लेकर एक्सपेरिमेंट करने का बढता ग्राफ एक चिंता का विषय है, लेकिन जो लोग किशोवस्था पार करके शादी तक इंतजार करते है। उनमें सेक्स को लेकर उत्सुकता और रोमांस का लेवन बहुत हाई होता है।
लडकियों की सेक्स के प्रति प्रतिक्रिया काफी हद तक रोमांस, फोरप्ले और पार्टनर के प्रति भावनात्मक लगाव पर निर्भर करती है। वहीं पुरूषों की सेक्स की जानकारी अघिकतर सेक्स संबंघी फिल्मों और किताबों के अलावा आपसी बातचीत पर निर्भर करती है। इन्हीं वजहो से टीनएज लडकों के मन में सेक्स को लेकर कई गलत घारणाएं और अपेक्षाएं भी घर कर जाती है। उनके लिए सेक्स भावनातमक लगाव से कहीं ज्यादा शारीरिक क्रिया बनकर रह जाता है और वे अपने पार्टनर से ऎसी चीजों की अपेक्षा करने लगते है, जो उनके पार्टनर के लिए अक्सर संभव नहीं होता।
इसके अलाव इस उम्र के पुरूषों को यह डर भी रहता है कि क्या वे अपने पार्टनर को संतुष्ट करे पाएंगेक् इस तरह की मानसिक घारणाए सेक्स के वक्त परफॉर्म करने में बाघा उत्पन्न करती है। दूसरी तरफ लडकियां भी फिल्मी रोमांस और सुनी-सुनाई बातों के हिसाब से ही सेक्स को जेहन में रखकर पार्टनर से उम्मींद पालती है, जो अक्सर पहली ही रात में चकनाचुर हो जाती है।
ऎसे में ये जान और समझ लेना जरूरी है कि सेक्स देखकर या पडकर नही सीखा जा सकता। ये प्रैक्टिस के साथ परफेक्ट होता है और इसे महज शारीरिक क्रिया न समझकर प्यार और भावना से करें तो रिश्ता मजबूत बनेगा। इसके अलावा सेक्स मेंवही बातें और क्रियाए संतुष्टि दे सकती है, जो दोनों की रजामंदी से हो।
कुल मिलाकर इस उम्र में उत्सुकता और एक्सपेरिंमेट पर ही जोर रहता है, लेकिन इस एक्सपेरिमेंट के दौरान ये न भूले कि गर्भनिरोघक साघनों का प्रयोग जरूरी है, क्योंकि गर्मघारण का डर भी सेक्स क्रिया में बाघक होता है। और जब तक दोनों एक-दूसरे के इतने नहीं जुड जाएं कि भावनाएं, शारीरिक क्रिया से ज्यादा महत्वपूर्ण बन जाएं। तक तक गर्मघारण न करें। वरना ऎसी सेक्स क्रिया रिश्ते में बाघक ही बनेगी।
अंतत: ये बात दोनों पार्टनर बखूबी समझ ले कि शारीरिक रूप से जुडने से ज्यादा जरूरी है भावनात्मक रूप से जुडना, तभी लंबे समय तक रिश्ते में गर्माहट बनी रहेगी।
30 की उम्र में सेक्स
30 की उम्र मे सेक्स की फ्रीक्वेंसी यानी संख्या 20 की उम्र के मुकाबले कम हो जाती है, लेकिन सेक्स की क्वालिटी में इजाफा जरूर हो जाता है। क्योंकि दोनों पार्टनर काफी परिपक हो चुके होते है, एक दूसरे को समझ चुके होते है। सेक्स के दौरान एक-दूसरे की पसंद-नापसंद भी जान चुके होते है, जिससे सेक्स ज्यादा आनंददायक बन जाता है।
चूंकि इस उम्र तक आते आते महिलाएं भी खुत चुकी होती है, तो वो झिझक छोडकर सेक्स में सकारात्मक रूप से हिस्सा लेती है। कई शोघ इस बात का भी खुलासा करते है कि महिलाएं लेट थर्टीज में अपनी सेक्सुअल पीक पर होती है।
दूसरी तरफ यही उम्र होती है, जब स्त्री (अगर कामकाजी है) और पुरूष भी अपने करियर का संवारने में ज्यादा गंभीरता से जुट जाते है, जिससे शारीरिक ऊर्जा, मानसिक शक्ति ज्यादा खर्च होने लगती है। वक्त की कमी के चलते और इन तमाम कारणें से सेक्स जीवन काफी हद तक प्रभावित हो सकता है।
ऎसे में यह बेहद जरूरी है कि न सिर्फ साथ होने का एहसास बना रहे, बल्कि आप योजनाबद्ध तरीके से काम और जिम्मेदारियों का बंटवारा करके एक-दूसरे के लिए वक्त भी निकाले। वीक एंड में कहीं घूमने जाएं। अपने बच्चो का लेकर, उसके विकास और भविष्य के लिए मिल-जुलकर प्लान करे, यानी भावनात्मक नजदीकी को बनाए रखे। इससे शारीरिक नजदीकी अपने आप बनी रहेगी। जो लोग ऎसा नहीं कर पाते, उनमें दूरियां पनपने लगती है। पुरूषों के लिए भटकने की संभावनाएं भी पैदा होने लगती है। इसलिए अपने पार्टनर के लिए ऎसी छोटी-मोटी बातें और चीजें करें, जिससे उसे ये महसूस हो आप दोनों को एक-दूसरे की जरूरत है और अप एक-दूसरे को खयाल रखते है। यह लव लैग्वेज आप दोनों की नजदीकी को बनाए रखेगी।
इसके अलावा खुद को शारीरिक रूप से फिट और स्वस्थ्य भी रखें, इससे आप न सिर्फ स्वस्थ्य और आकर्षक बने रहेंगे, बल्कि आपकी सेक्स लाइफ मोटापे, डायबिटीज या हाईपरटैशन की भेट भी नहीं चढेगी।
इस उम्र तक आते-आते दोनों पार्टनर एक-दूसरे को पूरी तरह से समझ चुके होते हे। एक-दूसरे को किस तरह से सुख देना है और किसे क्या पसंद है इसकी जानकारी के कारण ही इस उम्र में सेक्स बेहतर और संतुष्टि देने वाला होता है। हालांकि सेक्स की फ्रीक्केंसी कम हो चुका होता है और बच्चो भी किशोवास्था तक पहुंचने के करीब होते है। ऎसे में माता-पिता को घ्यान उनकी पढाई और करियर पर भी लगा रहता है।
महिलाओं में हार्मोलन के बदलाव सबसे ज्यादा इसी उम्र में होते है। मेनोपॉज के करीब होने की वजह से भी मूड मे बदलाव, काई स्वास्थ्य संबंघी परेशानियों सेक्स लाइफ प्रभावित करती है। वहीं पुरूषों में भी ब्लडप्रेशर और डायबिटीज जैसी बीमारियों इस उम्र में ज्यादा पाई जाती है। इन बीमारियो के कारण और इनके लिए ली जानेवाली दवाओं के साइड इफेक्ट के कारण भी सेक्स क्षमता प्रभावित होती है। इसलिए एक्सपर्टस सलाह देते है कि अपनी फिटनेस और सेहत पर घ्यान दे, ताकि लोग इस उम्र में भी सेक्स लाइफ एंजॉय कर सकें।
शहरी इलाकों में किए गए शोश ये भी बताते है कि 40 के आस-पास की आयु में जो पुरूष काफी कामयाबी हासिल कर लेते है, वे युवा महिलाओं से संबंघ बनाते है, ताकि उनमें यह सहसास बना रहे कि इस उम्र में भी वे लडकियों को अपनी और आर्कषित करने की क्षमता रखते है। इनमे में ज्यादा पुरूषो की ये सोच रहती है कि जिंदगीभर इतनी मेहनत करेन के बाद जब अपनी सेक्स संबंघी कल्पनाओं को पूरा नहीं हो सकती तो वे इसे बाहर तलाशते है।
इस तरह की सोच और आचरण घर में, रिश्तों में दरार ला सकता है। इसलिए जोर इस बात और सोच पर दिया जाना चाहिए कि रिश्ते की मजबूती भावनाओं पर टिकी हो, शरीर पर नहीं। भावनाएं गहरी होगी तो शारीरिक नजदीकियां भी बनी रहेंगी और भटकाव नहीं होगा। याद रहे, सिर्फ सेक्स नहीं, बल्कि तन-तन की गहराई और अपनेपन को बढाने वाली क्रिया है, जो वक्त ओर उम्र के साथ गहरी होती जाती है।
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