सेक्स
क्रिया को लम्बे समय तक खींचने के लिए कुछ विशेष तरीकों का इस्तेमाल किया
जा सकता है जो सेक्स के आनन्द को कई गुना बढ़ा देती है। आज कई प्रकार के
वैज्ञानिक शोधों से यह ज्ञात हो चुका है कि लगभग 85 प्रतिशत पुरुषों का
वीर्यपात सेक्स क्रिया के दौरान दो मिनट में ही हो जाता है। कुछ तो ऐसे भी
पुरुषों का पता चला है कि वे 10 से 20 सेकण्ड में ही और कुछ योनि में लिंग
को प्रवेश करने के बाद ही स्खलित हो जाते हैं।
कुछ तो ऐसे भी होते हैं जो योनि में लिंग को प्रवेश कराने से पहले ही आलिंगन चुम्बन के समय ही स्खलित हो जाते हैं। ऐसे पुरुष कभी भी अपने पत्नी को सेक्स क्रिया का भरपूर आनन्द नहीं दे पाते। इस स्थिति में ऐसे पुरुष वैद्य-हकीमों के चक्करों में पड़कर अपने धन तथा स्वास्थ्य को भी नष्ट कर देते हैं।
पुरुषों के शीघ्रपतन को दूर करने के लिए बहुत से चिकित्सकों ने कई तरीकों की खोज की है। इन तरीकों को सावधानी से अपनाने से शीघ्रपतन की समस्या से बचा जा सकता है और सेक्स क्रिया का भरपूर आनन्द भी लिया जा सकता है।
सेक्स क्रिया करने के कुछ तरीके निम्न हैं-
1. सेक्स क्रिया करने से पहले स्त्री को पूरी तरह से उत्तेजित करना चाहिए। जब स्त्री पूरी तरह से उत्तेजित हो जाए तब उसके साथ संभोग करना चाहिए और कुछ देर तक अपने लिंग को स्त्री की योनि में डालकर झटके (स्ट्रोक) लगायें तथा इसके बाद कुछ देर के लिए हट जाएं। इसके बाद फिर से स्त्री की योनि के मुख (भगनासा) को खोले और दुबारा स्ट्रोक लगाकर-लगाकर घर्षण करें। इस प्रकार से दो से तीन बार सेक्स क्रिया करें। इससे स्त्री-पुरुष दोनों को भरपूर आनन्द मिलेगा। इस प्रकार पूर्ण रूप से आनन्द लेते-लेते एक समय ऐसा आयेगा जब आप स्खलित हो जायेंगे और आपको पूर्ण आनन्द मिलेगा। इस तरह से सेक्स क्रिया करने से स्त्री कई बार चरम सुख प्राप्त करती है और लम्बे समय तक सेक्स क्रिया भी चलती है।
2. सेक्स क्रिया करते समय स्खलन होने से पहले ही लिंग को योनि से बाहर निकाल दें और शरीर को एकदम ढीला छोड़ दें। इसके कुछ देर बाद फिर से सेक्स क्रिया करने लगे। इस प्रकार से सेक्स क्रिया करते समय बीच में ही स्खलित होने की स्थिति बन जाए तो जबर्दस्ती अपने वीर्य को रोके नहीं क्योंकि इससे शारीरिक कमजोरी उत्पन्न होती है। इस स्थिति में संभोग करते समय स्खलित होने के कुछ देर बाद अपने को फिर से सेक्स क्रिया के लिए तैयार करें।
3. सेक्स क्रिया करते समय पुरुष को चाहिए कि स्त्री की योनि में लिंग प्रवेश करके स्ट्रोक लगाने में जल्दबाजी न करें क्योंकि इससे जल्दी ही स्खलन हो जाता है। अतः स्ट्रोक धीरे-धीरे लगायें। ऐसा करने से सेक्स क्रिया लम्बे समय तक चलती है। स्ट्रोक लगा-लगाकर घर्षण करते समय अपने मन में स्ट्रोक की गिनती करते जाएं और जब स्खलन होने लगे तब स्ट्रोक लगाना बंद कर दें। फिर अपनी आंखों को बंद करके शरीर को ढीला छोड़ दें। इसके कुछ देर बाद स्ट्रोक लगा-लगाकर घर्षण करना शुरू कर दें और गिनती गिनते जाएं।
4. यदि किसी व्यक्ति को शीघ्रपतन की शिकायत हो तो वह सेक्स क्रिया करने से एक दो घंटे पहले हस्तमैथुन करके वीर्य को निकाल दे। इसके बाद जब आप सेक्स क्रिया करेंगे तो उस समय शीघ्रपतन का भय नहीं रहेगा और लम्बे समय तक सेक्स क्रिया का आनन्द भी ले सकेंगे।
5. सेक्स क्रिया करते समय लंबी-लंबी सांसे लेने की आदत डालें। इससे सेक्स क्रिया में पूर्ण रूप से आनन्द मिलता है।
6. अगर सेक्स क्रिया करते वक्त स्खलन का एहसास हो तो किसी दूसरी चीज की ओर अपना ध्यान लगाएं, इससे स्खलन होने की संभावना रुक जाती है। इसके कुछ देर बाद फिर से सेक्स क्रिया करने लगे। इस तरह की क्रिया कई बार करें। इससे भरपूर आनन्द मिलेगा।
7. सेक्स क्रिया के दौरान वीर्य स्खलन होने की स्थिति उत्पन्न हो जाए तो अपनी गुदा को संकुचित कर लें और कुछ समय तक इसी अवस्था में रुके रहे हैं। इससे स्खलन की स्थिति रुक जाती है।
8. संभोग करते वक्त जब योनि को लिंग में प्रवेश करें तब उस समय अपनी गुदा को संकुचित कर लें और लिंग के स्नायुओं को भी सिकोड़ लें। इस स्थिति में रहने के साथ ही स्ट्रोक लगा-लगाकर घर्षण करें। इस तरीके से सेक्स क्रिया लम्बे समय तक बनी रह सकती है।
9. यदि आपको शीघ्रपतन की शिकायत हो तो सेक्स क्रिया करने से लगभग 10-15 मिनट पहले लिंग के मुंड पर जायलोकेन मलहम लगा लें। ऐसा करने से लिंग मुंड की त्वचा में संवेदनशीलता खत्म हो जाती है और शीघ्रपतन नहीं होता है।
10. यदि सेक्स क्रिया करने से पहले यह पता लग जाए कि लिंग मुंड संवेदनशील हो गया है तो उस पर टेल्कम पाउडर लगा दें। इससे संवेदनशीलता खत्म हो जाती है।
11. लिंग में अधिक उत्तेजना होने के कारण से वह अधिक टाइट हो गया हो तो इस पर रबड़ बैंड चढ़ा लें, ध्यान रहे कि रबड़ बैंड अधिक कसा न हो और न ही अधिक ढीला, क्योंकि ऐसा करने से लिंग में खून का बहाव लंबे समय तक रहेगा और सेक्स क्रिया देर तक चलेगी।
12. सेक्स क्रिया करते समय जब वीर्य स्खलन होने की स्थिति उत्पन्न होने लगे तो स्ट्रोक लगाकर घर्षण करने का काम बंद कर दें और तुरंत अपनी जननन्द्रियों को पेट के अन्दर की तरफ खींचे। इस स्थिति में जननेन्द्रियों को तब तक खींचे रखें जब तक वीर्य स्खलन की स्थिति खत्म न हो जाए। इसके कुछ समय बाद स्ट्रोक लगाना शुरू कर दें। इस प्रकार से क्रिया करने से सेक्स क्रिया का समय देर तक बना रहता है। इस तरीके से संभोग करने की कला को योनिमुद्रा कहते हैं।
13. सेक्स क्रिया करते समय यदि वीर्य स्खलन की स्थिति उत्पन्न हो जाए तो इसको रोकने के लिए अपने फेफड़े की भरी हुई वायु को जोर से बाहर की ओर फेंके। ऐसा करने से वीर्य स्खलन को रोकने में लाभदायक प्रभाव देखने को मिलता है। इससे स्खलन की अनुभूति भी गायब हो जाती है। इसके बाद दुबारा से सेक्स क्रिया करना शुरू करें। इस प्रकार से सेक्स क्रिया के दौरान कई बार दोहरा भी सकते हैं। इस तरीके से सेक्स क्रिया करने से संभोग कला का समय बढ़ जाता है।
14. वीर्य स्खलन होते समय जितना अपने पेट को अन्दर खींच सकते हो खींचे और सांस को अन्दर की ओर न लें बल्कि अन्दर की सांस को बाहर की ओर फेंके। पेट को अन्दर की ओर खींचने से खाली जगह बन जाती है और काम केंद्र के आस-पास की शक्ति नाभि की ओर आ जाती है तथा वीर्य स्खलन होना रुक जाता है।
15. सेक्स क्रिया करते समय नाक के दांये भाग से सांस लेते रहें, इससे सेक्स क्रिया लम्बे समय तक चलती है। नाक के बांये भाग से सांस न लें क्योंकि यह भाग ठंडा होता है और ऐसा करने से सेक्स शक्ति में कमी आती है। नाक के दांये भाग से सांस लेने के लिए अपने दाएं हाथ की मुट्ठी बायें बगल में रखकर बगल को जोर-जोर से दबाएं और करवट लेट जाए। इस प्रकार से क्रिया करने से दायां स्वर चालू हो जाएगा।
सेक्स क्रिया के दौरान जल्दी वीर्यपात होने के कुछ कारणों की खोज-
भय-
सेक्स संबंधों के दौरान मन में भय होने से भी जल्दी वीर्यपात हो सकता है। अतः इसको दूर करने के लिए भय होने के मूल कारणों को जानना बहुत जरूरी है। यदि इसके होने के कारणों को पता लग जाए तो भय से मुक्ति पाना आसान हो जाता है। जीवन में भय अगर अधिक हो तो इसके घातक परिणाम देखने को मिल सकते हैं क्योंकि भय से अनेक गंभीर, घातक तथा असाध्य रोग उत्पन्न होते हैं। अधिकांश रोगों के होने के कारण तो मुख्य रूप से भय ही होता है। कुछ लोग तो ऐसे भी देखे गये हैं कि वे सांप के काटने के भय से ही मृत्यु के मुंह में चले जाते हैं।
भय एक ऐसी मानसिक बीमारी का रूप धारण कर लेती है जिसके कारण सेक्स क्रिया से संबंधित रोग होने के अलावा व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। उदाहरण के लिए- चार-पांच साल पहले एक किसान खेत में पानी दे रहा था तभी किसी कीड़े ने उसके पैर में काट लिया और कटे हुए स्थान से खून निकलने लगा। इसके बाद उसने खेत में इधर-उधर ध्यान से देखा लेकिन वहां पर कुछ भी दिखाई नहीं दिया। इसके बाद वह घर पर आया और कटे हुए स्थान पर पट्टी बांध ली। कुछ दिनों बाद जब वह दुबारा से खेत में पानी देने के लिये गया तो उसने वहां पर एक सांप देखा। सांप को देखकर उसके मन में विचार आया कि पिछली बार शायद पानी देने के दौरान इसी सांप ने काटा था और यही बात उसके मन में बैठ गयी। इसी भय के कारण किसान ने चारपाई पकड़ ली। कुछ समय बाद ही भय के कारण उसकी मृत्यु हो गई। इस कहानी से स्पष्ट होता है कि भय के कारण मृत्यु भी हो सकती है।
शीघ्रपतन से पीड़ित रोगी को कभी भी यह नहीं सोचना चाहिए कि मेरे सामने केवल दो विकल्प हैं। पहला यह कि मुझे कभी भी यह बीमारी ठीक नहीं हो सकती है तथा दूसरा यह की मेरे इस रोग को केवल वैद्य और हकीम ही ठीक कर सकते हैं। इस प्रकार सोचने के कारण से यह रोग बढ़ता ही जाता है तथा रोगी वैद्य और चिकित्सक के चक्कर में फंसकर अपने धन तथा स्वास्थ्य को बरबाद कर लेते हैं।
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कुछ तो ऐसे भी होते हैं जो योनि में लिंग को प्रवेश कराने से पहले ही आलिंगन चुम्बन के समय ही स्खलित हो जाते हैं। ऐसे पुरुष कभी भी अपने पत्नी को सेक्स क्रिया का भरपूर आनन्द नहीं दे पाते। इस स्थिति में ऐसे पुरुष वैद्य-हकीमों के चक्करों में पड़कर अपने धन तथा स्वास्थ्य को भी नष्ट कर देते हैं।
पुरुषों के शीघ्रपतन को दूर करने के लिए बहुत से चिकित्सकों ने कई तरीकों की खोज की है। इन तरीकों को सावधानी से अपनाने से शीघ्रपतन की समस्या से बचा जा सकता है और सेक्स क्रिया का भरपूर आनन्द भी लिया जा सकता है।
सेक्स क्रिया करने के कुछ तरीके निम्न हैं-
1. सेक्स क्रिया करने से पहले स्त्री को पूरी तरह से उत्तेजित करना चाहिए। जब स्त्री पूरी तरह से उत्तेजित हो जाए तब उसके साथ संभोग करना चाहिए और कुछ देर तक अपने लिंग को स्त्री की योनि में डालकर झटके (स्ट्रोक) लगायें तथा इसके बाद कुछ देर के लिए हट जाएं। इसके बाद फिर से स्त्री की योनि के मुख (भगनासा) को खोले और दुबारा स्ट्रोक लगाकर-लगाकर घर्षण करें। इस प्रकार से दो से तीन बार सेक्स क्रिया करें। इससे स्त्री-पुरुष दोनों को भरपूर आनन्द मिलेगा। इस प्रकार पूर्ण रूप से आनन्द लेते-लेते एक समय ऐसा आयेगा जब आप स्खलित हो जायेंगे और आपको पूर्ण आनन्द मिलेगा। इस तरह से सेक्स क्रिया करने से स्त्री कई बार चरम सुख प्राप्त करती है और लम्बे समय तक सेक्स क्रिया भी चलती है।
2. सेक्स क्रिया करते समय स्खलन होने से पहले ही लिंग को योनि से बाहर निकाल दें और शरीर को एकदम ढीला छोड़ दें। इसके कुछ देर बाद फिर से सेक्स क्रिया करने लगे। इस प्रकार से सेक्स क्रिया करते समय बीच में ही स्खलित होने की स्थिति बन जाए तो जबर्दस्ती अपने वीर्य को रोके नहीं क्योंकि इससे शारीरिक कमजोरी उत्पन्न होती है। इस स्थिति में संभोग करते समय स्खलित होने के कुछ देर बाद अपने को फिर से सेक्स क्रिया के लिए तैयार करें।
3. सेक्स क्रिया करते समय पुरुष को चाहिए कि स्त्री की योनि में लिंग प्रवेश करके स्ट्रोक लगाने में जल्दबाजी न करें क्योंकि इससे जल्दी ही स्खलन हो जाता है। अतः स्ट्रोक धीरे-धीरे लगायें। ऐसा करने से सेक्स क्रिया लम्बे समय तक चलती है। स्ट्रोक लगा-लगाकर घर्षण करते समय अपने मन में स्ट्रोक की गिनती करते जाएं और जब स्खलन होने लगे तब स्ट्रोक लगाना बंद कर दें। फिर अपनी आंखों को बंद करके शरीर को ढीला छोड़ दें। इसके कुछ देर बाद स्ट्रोक लगा-लगाकर घर्षण करना शुरू कर दें और गिनती गिनते जाएं।
4. यदि किसी व्यक्ति को शीघ्रपतन की शिकायत हो तो वह सेक्स क्रिया करने से एक दो घंटे पहले हस्तमैथुन करके वीर्य को निकाल दे। इसके बाद जब आप सेक्स क्रिया करेंगे तो उस समय शीघ्रपतन का भय नहीं रहेगा और लम्बे समय तक सेक्स क्रिया का आनन्द भी ले सकेंगे।
5. सेक्स क्रिया करते समय लंबी-लंबी सांसे लेने की आदत डालें। इससे सेक्स क्रिया में पूर्ण रूप से आनन्द मिलता है।
6. अगर सेक्स क्रिया करते वक्त स्खलन का एहसास हो तो किसी दूसरी चीज की ओर अपना ध्यान लगाएं, इससे स्खलन होने की संभावना रुक जाती है। इसके कुछ देर बाद फिर से सेक्स क्रिया करने लगे। इस तरह की क्रिया कई बार करें। इससे भरपूर आनन्द मिलेगा।
7. सेक्स क्रिया के दौरान वीर्य स्खलन होने की स्थिति उत्पन्न हो जाए तो अपनी गुदा को संकुचित कर लें और कुछ समय तक इसी अवस्था में रुके रहे हैं। इससे स्खलन की स्थिति रुक जाती है।
8. संभोग करते वक्त जब योनि को लिंग में प्रवेश करें तब उस समय अपनी गुदा को संकुचित कर लें और लिंग के स्नायुओं को भी सिकोड़ लें। इस स्थिति में रहने के साथ ही स्ट्रोक लगा-लगाकर घर्षण करें। इस तरीके से सेक्स क्रिया लम्बे समय तक बनी रह सकती है।
9. यदि आपको शीघ्रपतन की शिकायत हो तो सेक्स क्रिया करने से लगभग 10-15 मिनट पहले लिंग के मुंड पर जायलोकेन मलहम लगा लें। ऐसा करने से लिंग मुंड की त्वचा में संवेदनशीलता खत्म हो जाती है और शीघ्रपतन नहीं होता है।
10. यदि सेक्स क्रिया करने से पहले यह पता लग जाए कि लिंग मुंड संवेदनशील हो गया है तो उस पर टेल्कम पाउडर लगा दें। इससे संवेदनशीलता खत्म हो जाती है।
11. लिंग में अधिक उत्तेजना होने के कारण से वह अधिक टाइट हो गया हो तो इस पर रबड़ बैंड चढ़ा लें, ध्यान रहे कि रबड़ बैंड अधिक कसा न हो और न ही अधिक ढीला, क्योंकि ऐसा करने से लिंग में खून का बहाव लंबे समय तक रहेगा और सेक्स क्रिया देर तक चलेगी।
12. सेक्स क्रिया करते समय जब वीर्य स्खलन होने की स्थिति उत्पन्न होने लगे तो स्ट्रोक लगाकर घर्षण करने का काम बंद कर दें और तुरंत अपनी जननन्द्रियों को पेट के अन्दर की तरफ खींचे। इस स्थिति में जननेन्द्रियों को तब तक खींचे रखें जब तक वीर्य स्खलन की स्थिति खत्म न हो जाए। इसके कुछ समय बाद स्ट्रोक लगाना शुरू कर दें। इस प्रकार से क्रिया करने से सेक्स क्रिया का समय देर तक बना रहता है। इस तरीके से संभोग करने की कला को योनिमुद्रा कहते हैं।
13. सेक्स क्रिया करते समय यदि वीर्य स्खलन की स्थिति उत्पन्न हो जाए तो इसको रोकने के लिए अपने फेफड़े की भरी हुई वायु को जोर से बाहर की ओर फेंके। ऐसा करने से वीर्य स्खलन को रोकने में लाभदायक प्रभाव देखने को मिलता है। इससे स्खलन की अनुभूति भी गायब हो जाती है। इसके बाद दुबारा से सेक्स क्रिया करना शुरू करें। इस प्रकार से सेक्स क्रिया के दौरान कई बार दोहरा भी सकते हैं। इस तरीके से सेक्स क्रिया करने से संभोग कला का समय बढ़ जाता है।
14. वीर्य स्खलन होते समय जितना अपने पेट को अन्दर खींच सकते हो खींचे और सांस को अन्दर की ओर न लें बल्कि अन्दर की सांस को बाहर की ओर फेंके। पेट को अन्दर की ओर खींचने से खाली जगह बन जाती है और काम केंद्र के आस-पास की शक्ति नाभि की ओर आ जाती है तथा वीर्य स्खलन होना रुक जाता है।
15. सेक्स क्रिया करते समय नाक के दांये भाग से सांस लेते रहें, इससे सेक्स क्रिया लम्बे समय तक चलती है। नाक के बांये भाग से सांस न लें क्योंकि यह भाग ठंडा होता है और ऐसा करने से सेक्स शक्ति में कमी आती है। नाक के दांये भाग से सांस लेने के लिए अपने दाएं हाथ की मुट्ठी बायें बगल में रखकर बगल को जोर-जोर से दबाएं और करवट लेट जाए। इस प्रकार से क्रिया करने से दायां स्वर चालू हो जाएगा।
सेक्स क्रिया के दौरान जल्दी वीर्यपात होने के कुछ कारणों की खोज-
भय-
सेक्स संबंधों के दौरान मन में भय होने से भी जल्दी वीर्यपात हो सकता है। अतः इसको दूर करने के लिए भय होने के मूल कारणों को जानना बहुत जरूरी है। यदि इसके होने के कारणों को पता लग जाए तो भय से मुक्ति पाना आसान हो जाता है। जीवन में भय अगर अधिक हो तो इसके घातक परिणाम देखने को मिल सकते हैं क्योंकि भय से अनेक गंभीर, घातक तथा असाध्य रोग उत्पन्न होते हैं। अधिकांश रोगों के होने के कारण तो मुख्य रूप से भय ही होता है। कुछ लोग तो ऐसे भी देखे गये हैं कि वे सांप के काटने के भय से ही मृत्यु के मुंह में चले जाते हैं।
भय एक ऐसी मानसिक बीमारी का रूप धारण कर लेती है जिसके कारण सेक्स क्रिया से संबंधित रोग होने के अलावा व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। उदाहरण के लिए- चार-पांच साल पहले एक किसान खेत में पानी दे रहा था तभी किसी कीड़े ने उसके पैर में काट लिया और कटे हुए स्थान से खून निकलने लगा। इसके बाद उसने खेत में इधर-उधर ध्यान से देखा लेकिन वहां पर कुछ भी दिखाई नहीं दिया। इसके बाद वह घर पर आया और कटे हुए स्थान पर पट्टी बांध ली। कुछ दिनों बाद जब वह दुबारा से खेत में पानी देने के लिये गया तो उसने वहां पर एक सांप देखा। सांप को देखकर उसके मन में विचार आया कि पिछली बार शायद पानी देने के दौरान इसी सांप ने काटा था और यही बात उसके मन में बैठ गयी। इसी भय के कारण किसान ने चारपाई पकड़ ली। कुछ समय बाद ही भय के कारण उसकी मृत्यु हो गई। इस कहानी से स्पष्ट होता है कि भय के कारण मृत्यु भी हो सकती है।
शीघ्रपतन से पीड़ित रोगी को कभी भी यह नहीं सोचना चाहिए कि मेरे सामने केवल दो विकल्प हैं। पहला यह कि मुझे कभी भी यह बीमारी ठीक नहीं हो सकती है तथा दूसरा यह की मेरे इस रोग को केवल वैद्य और हकीम ही ठीक कर सकते हैं। इस प्रकार सोचने के कारण से यह रोग बढ़ता ही जाता है तथा रोगी वैद्य और चिकित्सक के चक्कर में फंसकर अपने धन तथा स्वास्थ्य को बरबाद कर लेते हैं।
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