अपने एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने कहा है कि यौन चरम सुख (वैजाइनल ऑर्गेज्म) जैसी कोई चीज नहीं होती है। उनका कहना है कि वास्तव में महिला को सुख पहुंचाने में भग शिश्न (क्लिटरिस) की अहम भूमिका होती है।
वैज्ञानिकों का यहां तक कहना है कि चरम सुख जैसी कोई चीज नहीं होती है। इसे काल्पनिक बातों के आधार पर महिलाओं की सेक्स समस्याओं का नाम दिया गया है। उनका कहना है कि जी स्पॉट, वैजाइनल अथवा क्लिटरल ऑर्गेज्म्स जैसे सभी शब्द गलत हैं।
मेल ऑनलाइन में मैडलन डैविस लिखती हैं कि जिस तरह से पुरुष चरमसुख होता है, ठीक उसी तरह से महिला चरमसुख होता है और इसी तरह से समझा जाना चाहिए। इन वैज्ञानिकों का यहां तक कहना है कि दुनिया में कहीं भी गहराई तक जाने वाले या सेक्स (पेनिट्रेटिव सेक्स) के दौरान महिलाएं चरम सुख का अनुभव नहीं करती हैं।
उनका कहना है कि महिलाओं के चरम सुख के स्रोत उनका भग शिश्न (क्लिटरिस) और इसके आसपास के इरेक्टल टिशूज हैं। इसलिए अगर सभी महिला इरेक्टल ऑर्गन्स (उत्तेजक अंगों) को प्रभावी तरीके से उत्तेजित किया जाता है तो सभी महिलाओं को चरम सुख की अनुभूति होती है।
उल्लेखनीय है कि पहले के अध्ययनों में महिला के चरम सुख को पाने के मामले में क्लिटरिस (भग शिश्न) की स्थिति और आकार को अहम नहीं पाया गया था। इसी तरह वजाइना (योनि) से जितनी दूर और जितना छोटा भग शिश्न होगा, महिलाओं को चरम सुख की अनुभूति करने में उतनी ही दिक्कत होगी।
हालांकि वर्षों तक यह कहा जाता रहा है कि महिलाओं को चरम सुख की अनुभूति सेक्स या फोरप्ले के जरिए होती है। लेकिन नई रिसर्च ने साबित कर दिया है कि हम सभी गलत सोचते रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि वजाइनल ऑर्गेज्म (योनिक चरम सुख), क्लिटरल ऑर्गेज्म या फिर जी स्पॉट जैसी कोई बात नहीं होती है।
जर्नल क्लिनिकल एनाटॉमी में विशेषज्ञ लेखकों का कहना है कि सारी दुनिया में महिलाएं के सभी प्रकार के चरम सुखों का केन्द्र उनका क्लिटरिस (भग शिश्न) होता है। यह महिलाओं का सबसे ज्यादा कामोत्तेजक क्षेत्र होता है और इसी कारण से इसे 'महिलाओं का लिंग' भी कहते हैं। इसका एक कारण यह भी है कि यह अंग भी उसी मैटेरियल से बना होता है जिससे पुरुष का लिंग बना होता है।
महिलाओं के लिए जो कामोत्तेजक अंग होते हैं उनमें क्लिटरिस और वेस्टिबुलर बल्ब्स (गलियारे या दहलीज के गोले या घुंडियां) शामिल होते हैं। इन्हें क्लिटरल बल्ब्स भी कहा जाता है। यह योनि के दोनों ओर की किसी भी साइड पर पाए जाते हैं और पार्स इंटरमीडिया, जोकि एक पतला फीता या पट्टी होती है जोकि दो वेस्टिबुलर बल्ब्स को जोड़े रखती है।
अमेरिकी शोधकर्ताओं का कहना है कि योनि से क्लिटरस की दूरी और इसका आकार यह तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है कि महिला चरम सुख हासिल कर पाती है या नहीं। अपने अध्ययन के तहत वैज्ञानिकों ने 30 महिलाओं के पेल्विक एरियाज (पेड़ू के क्षेत्रों) का अध्ययन किया और इन्हें स्कैन किया।
महिलाओं के शरीर में एक दूसरा कामोत्तेजक क्षेत्र लेबिया मिनोरा (मादा जननांग की मुड़ी हुई त्वचा) या भगोष्ठ के अंदर त्वचा की दो पतली अंदरूनी फोल्ड्स (परतें) कहलाती हैं। इस कारण से इन्हें योनि के अंदरूनी होठ भी कहा जाता है।
इसी तरह से महिला के मूत्र मार्ग (यूरिथ्र) के आसपास के स्पंज जैसे टिशूज (ऊतक) का ढेर (मास) या कॉरपस स्पंजियोसम नामक उत्तकों का विस्तार जो कि मूत्र मार्ग को बनाते हैं, भी कामोत्तेजना का अनुभव करते हैं।
पर जिन महिलाओं को चरम सुख पाने में तकलीफ होती है, उसका कारण यह होता है कि उनका भग शिश्न (क्लिटरिस) छोटा होता है और योनि से बहुत दूर होता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि उनके इस नए अध्ययन से उन महिलाओं का इलाज करने में आसानी होगी जोकि एनोऑग्रेस्मिया या चरम सुख का अनुभव न करने की बीमारी से पीड़ित हैं।
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