पुरुषों और महिलाओं के बीच शारीरिक संबंध होना तो आम बात है। लेकिन जब सामने साथी न हो तो अक्सर लोग खुद को संतुष्ट करने के लिए हस्तमैथुन का सहारा लेते हैं। हस्तमैथुन एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। लेकिन उसके प्रभाव थोड़े अलग हैं। पुरुषों को हस्तमैथुन जहां आनंद का अनुभव दिलाता है वहीं महिलाओं में हस्तमैथुन उनके तनाव का कारण बनता है।
महिलाओं में यह प्रक्रिया सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक प्रभाव भी डालती है-
पति से संबंधों पर प्रभाव: हाल ही में अमेरिका के टैक्सास शहर में हुए सर्वेक्षण के मुताबिक जो महिलाएं किशोरावस्था में मैथुन शुरू कर देती हैं, उन्हें शादी के बाद अपने पति के साथ संभोग के दौरान ज्यादा अच्छा अनुभव नहीं होता। कारण अकेलेपन की चाहत। इस वजह से वो मानसिक तनाव से ग्रसित हो जाती हैं। ऐसी महिलाओं के पति जब उनके करीब जाते हैं, तो उन्हें गुस्सा आता है और इस वजह से उनका शादी-शुदा जीवन भी प्रभावित होता है।
तनाव: कई स्त्रियां मैथुन के लिए एक समय सेट कर लेती हैं, यदि उस दौरान उन्हें अकेलापन नहीं मिलता तो उन्हें तनाव होने ल गता है और गुस्सा आने लगता है। ऐसे में अन्य लोगों से झगड़े की संभावना बढ़ जाती है।
हीमेच्यूरिया: हीमेच्यूरिया स्त्रियों में पायी जाने वाली वह बीमारी है, जिसमें यूरीन में ब्लड आने लगता है। यूरीन गाढ़ी हो जाती है और उसमें से गंध आने लगती है। गुप्त रोग विशेषज्ञों के मुताबिक मैथुन की वजह से इस बीमारी के लगने की आशंका बढ़ जाती है। इससे काफी कमजोरी भी आती है और खून की कमी हो जाती है।
गुप्तांग में सूखापन: जरूरत से ज्यादा मैथुन करने से पीरियड, मासिक धर्म अथवा मेंसुरेशन साइकिल में समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। इस वजह से गुप्तांग में सूखापन आ जाता है और वहां खुजली एवं दर्द होता है। यही नहीं इससे आगे चलकर बच्चा होने में भी दिक्कत होती है। अंत में सबसे अहम बात यह कि मैथुन से महिलाओं में यौन इच्छाएं कम होने लगती हैं। ऐसा करने पर उन्हें संभोग में ज्यादा मजा नहीं आता और फिर उन्हें सेक्स की चरम सीमा तक पहुंचने में दिक्कत होती है।
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