आज भी हमारे देश में महिलाएं सेक्स व सेक्स से जुड़ी परेशानियों के बारे में बात करने से झिझकती हैं और यही कारण बनता है सेक्स संबंधी बीमारियों के गंभीर रूप लेने का, जो बाद में जानलेवा हो जाता है। सेक्स संबंधी बीमारियों के संबंध में महिलाओं को आगे लाने की सख्त जरूरत है।
आज की महिलाएं घर व प्रोफेशनल जिम्मेदारी दोनों निभाती हैं और वे अपनी सेक्स संबंधी समस्याओं की अवहेलना करती हैं। वे आगे चलकर सर्वाइकल कैंसर व ब्रेस्ट कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का शिकार बनती हैं।
आज की महिलाएं घर व प्रोफेशनल जिम्मेदारी दोनों निभाती हैं और वे अपनी सेक्स संबंधी समस्याओं की अवहेलना करती हैं। वे आगे चलकर सर्वाइकल कैंसर व ब्रेस्ट कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का शिकार बनती हैं।
आज की लाइफस्टाइल में कामकाजी महिलाएं ब्रेस्ट फीडिंग यानी स्तनपान या तो बहुत कम कराती हैं या नहीं करातीं। ऐसी महिलाओं के परिवार में ब्रेस्ट कैंसर का इतिहास न होने के बावजूद ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका अधिक होती है।
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आज के युवाओं व दंपतियों में अप्राकृतिक ढंग से सेक्स करने का भी प्रचलन बढ़ रहा है। पोर्न फिल्मों के जरिए वे सेक्स के अप्राकृतिक तरीकों को अपनाते हैं। वे सही और गलत तरीकों की पहचान करना भूलते जाते हैं। यही प्रवृत्ति यौन संक्रमित रोगों के भयावह रूप लेने का कारण बनती है। मल्टीपार्टनर सेक्स भी सेक्सजनित रोगों का कारण बनता है।
आजकल न्यूक्लियर फैमिली का प्रचलन है, जहां पति-पत्नी अकेले अपनी सेक्स संबंधी समस्याओं से जूझते रहते हैं। अपनी परेशानी को बांटने के लिए उनके पास कोई नहीं होता। भारतीय महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर सबसे सामान्य कैंसर है। तकरीबन 80 हजार महिलाएं प्रतिवर्ष सर्वाइकल कैंसर की वजह से मौत का ग्रास बन जाती हैं।
हर महिला को अपनी सेक्स संबंधी समस्या के प्रति जागरूक रहना चाहिए। उसके बारे में खुलकर बात करनी चाहिए व 30-35 वर्ष की आयु के बाद पैल्विक व ब्रैस्ट एग्जामिनेशन अवश्य कराना चाहिए ताकि सेक्स संबंधी रोगों से बचा जा सके।
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