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सेक्स से जुड़े 10 भ्रम

मिथ-1: एक बूंद सीमेन मतलब 100 बूंद खून और एक बूंद खून बनने के लिए काफी पौष्टिक आहार लेना होगा। सचाई: सीमेन एक रस है, जो शरीर में लगातार बनता रहता है। इसका खून से कोई ताल्लुक नहीं होता। यह बना ही निकलने के लिए है, न कि जमा करने के लिए।
मिथ 2: मैस्टबेशन(हस्तमैथून) से कमजोरी और नामर्दी आती है। सचाई: जैसे सेक्स से कोई नामर्दी और कमजोरी नहीं आती, वैसे ही मैस्टबेशन से भी नहीं आती।

मिथ3: ज्यादा सेक्स करने से प्राइवेट पार्ट कमजोर हो जाता है। सचाई: जैसे ज्यादा बोलने से जुबान कमजोर नहीं होती और कम बोलने से जुबान ताकतवर नहीं बनती, ठीक इसी तरह प्राइवेट पार्ट के साथ भी है। प्राइवेट पार्ट में कोई मसल्स नहीं होती इसलिए कमजोरी का सवाल ही नहीं उठता। याद रहे कि शिथिलता इस्तेमाल न करने से आती है न कि इस्तेमाल से।


मिथ4: पुरुष का प्राइवेट पार्ट जितना लंबा, उतना बेहतर। सचाई: महिला के प्राइवेट पार्ट में संवेदना शुरुआत के 2 इंच तक होती है। उसके लिए उत्तेजित प्राइवेट पार्ट की लंबाई 2 इंच या उससे ज्यादा हो तो यह संतुष्टि के लिए काफी है। जितना लंबा उतना बेहतर, यह गलत धारणा है।

मिथ 5: मैस्टबेशन से प्राइवेट पार्ट टेढ़ा होता है। सचाई: किसी भी शख्स का प्राइवेट पार्ट उत्तेजित अवस्था में बिल्कुल सीधा नहीं रहता। थोड़ा लेफ्ट या राइट होना सामान्य बात है और इससे प्रवेश में कोई परेशानी नहीं होती। जैसे सहवास से टेढ़ापन नहीं आता, वैसे ही मैस्टबेशन से भी टेढ़ापन नहीं आता।

मिथ 6: पेशाब के साथ सीमेन(धात) जाने से कमजोरी होती है। सचाई: पेशाब के साथ सीमेने जा ही नहीं सकता। जब सीमेन निकलता है तो साथ ही पेशाब का रास्ता भी बंद हो जाता है। इस वजह से पेशाब और सीमेन का मिलना नामुमकिन है।

मिथ7: पहले सहवास में हर कुंवारी महिला का खून निकलना जरूरी है। सचाई: ऐसा बिल्कुल जरूरी नहीं। कई बार बचपन में खेल-कूद या टैंपुन(पीरियड के वक्त इस्तेमाल होने वाला खास तरह का पैड)लगाने के दौरान हाइमेन टूट सकता है। ऐसे में यह सोचना निराधार है कि पहली बार सहवास के दौरान निकला खून ही कुंवारेपन की निशानी है।

मिथ 8: सेक्स एजुकेशन से कामेच्छा बढ़ती है और बच्चे कम उम्र में ही सेक्स करने लगेंगे। सचाई: यह गलतफहमी है। हकीकत में सेक्स एजुकेशन से व्यक्ति अपनी कामेच्छा को सही दिशा दे सकता है ताकि वह रेप और अनचाहे गर्भ जैसी चीजों से बच सके।

मिथ 9: मीनोपॉज सेक्स लाइफ का अंत है। सचाई: हकीकत यह है कि मीनोपॉज न तो बच्चे पैदा करने की क्षमता को खत्म करता है और न सेक्स की क्षमता को। मीनोपॉज के बाद भी सामन्य सेक्स मुमकीन है।

मिथ 10 : 60 साल के बाद सेक्स लाइफ खत्म हो जाती है। सचाई: जब तक सांस चलती है, तब तक इंसान सेक्स का आनंद ले सकता है। सेक्स की कोई एक्सपाइरी डेट नहीं होती।  

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जोश-ए-जवानी

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