अगर आप यह समझते आए हैं कि यौन-संबंध बनाते वक्त ख्वाबों के समंदर में
डुबकी लगाना सिर्फ पुरुषों की ही फितरत होती है, तो यह आपकी भूल हो सकती
है. हकीकत यह है कि महिलाएं भी फैंटेसी (Fantasy) का उतना ही इस्तेमाल
करती हैं, जितना कि कोई पुरुष.
हाल ही में सेक्स पर किए जाने वाले कई शोधों में इस तरह के फैक्ट्स सामने आए हैं.
शोध में शामिल महिलाओं से जब इस बारे में सवाल किए गए, तो कई ने इस बारे में खुलकर अपने दिल के राज खोले.
दरअसल, हकीकत को और ज्यादा खुशनुमा बनाने और दबी हुई इच्छा को बिना किसी 'एक्स्ट्रा एफर्ट' के ही पूरा करने के मकसद से जोड़े ख्वाबों की दुनिया में खोते हैं. सबसे मजे की बात तो यह कि उन अंतरंग पलों में किसके दिमाग के क्या चल रहा है, यह पार्टनर को तब तक पता नहीं चलता, जब तक इसे बयां न किया जाए.
महिलाएं सेक्स के वक्त या तो अपने अतीत से जुड़े किसी ऐसे शख्स को याद करती हैं, जो उसके दिलोदिमाग पर छाया हो, या किसी ऐसी पर्सनालिटी से खुद को कनेक्ट करती हैं, जो उनकी पहुंच से काफी दूर हो.
जो भी हो, इतना तो तय है कि यह फैंटेसी सेक्स के दौरान इसके आनंद को काफी हद तक बढ़ाने में मददगार साबित होती है, वह भी एक दायरे के भीतर रहकर.
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शोध में शामिल महिलाओं से जब इस बारे में सवाल किए गए, तो कई ने इस बारे में खुलकर अपने दिल के राज खोले.
दरअसल, हकीकत को और ज्यादा खुशनुमा बनाने और दबी हुई इच्छा को बिना किसी 'एक्स्ट्रा एफर्ट' के ही पूरा करने के मकसद से जोड़े ख्वाबों की दुनिया में खोते हैं. सबसे मजे की बात तो यह कि उन अंतरंग पलों में किसके दिमाग के क्या चल रहा है, यह पार्टनर को तब तक पता नहीं चलता, जब तक इसे बयां न किया जाए.
महिलाएं सेक्स के वक्त या तो अपने अतीत से जुड़े किसी ऐसे शख्स को याद करती हैं, जो उसके दिलोदिमाग पर छाया हो, या किसी ऐसी पर्सनालिटी से खुद को कनेक्ट करती हैं, जो उनकी पहुंच से काफी दूर हो.
जो भी हो, इतना तो तय है कि यह फैंटेसी सेक्स के दौरान इसके आनंद को काफी हद तक बढ़ाने में मददगार साबित होती है, वह भी एक दायरे के भीतर रहकर.
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